लोहरदगा:सरकार अत्याधुनिक तरीकों से सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदलने का दावा कर रही है, परंतु लोहरदगा शहर में सरकारी स्कूल की हालत सरकार के तमाम दावों की पोल खोलने के लिए काफी है (Lohardaga City Government School in Bad Condition). विद्यालय की हालत ऐसी है कि यहां पर पढ़ाई और संसाधन तो दूर की बात, भवन ही बच्चों के बैठने के लायक नहीं रह गया है.
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बेहद खराब है सरकारी विद्यालय की हालत:जिला में सरकारी स्कूलों में भवन और शिक्षक की कमी से बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से बाधित हो रही है. ऐसा ही नजारा देखने को मिला शहर के बीच रेलवे साइडिंग के निकट स्थित राजकीय मध्य विद्यालय पावरगंज में. जहां कक्षा एक से तीन के कुल 50 छात्र-छात्राओं को एक ही कमरे में बैठना पड़ता है. इसी तरह कक्षा चार और पांच के 72 छात्रों को एक साथ ही एक ही कमरे में पढ़ाई करनी पड़ रही है. स्कूल में शिक्षकों की भी कमी है. जिससे पढ़ने वाले बच्चों को परेशानी होती है.
बच्चों के बैठने के लिए कमरे नहीं: विद्यालय में भवन की भी कमी है. विद्यालय को हाल ही में चार कमरा और एक हॉल का नया भवन भी मिला है, जो पर्याप्त नहीं है. एक कार्यालय सहित चार पुराने कमरे वाले भवन में बरामदा सहित कमरे के छत का प्लास्टर जगह जगह पर छोड़ चुके हैं. शिक्षक किसी घटना के डर से बच्चों को पुराने कमरे में नहीं बैठाते हैं और कमरे को बंद रखा जाता है. बच्चे भी डर से पुराने भवन पर नहीं जाते हैं. अब नए भवन के चार कमरों में 257 बच्चों की पढ़ाई होती है. जो पर्याप्त नहीं है.
विद्यालय की प्रधानाध्यापक ने बताया: कक्षा एक से तीन तक के बच्चों को एक कमरे में और कक्षा चार- पांच क्लास के बच्चों की पढ़ाई एक कमरे में होती है और ज्यादातर बच्चों को बरामदे में भी पढ़ाया जाता है. पूरे मामले पर विद्यालय की प्रधानाध्यापक सीमा कुमारी चौधरी से की गई बातचीत में उन्होंने बताया कि पूर्व में कई बार विभाग को विद्यालय के इस जर्जर स्थिति को लेकर सूचित किया गया जा चुका है. हाल ही में तकनीकी अधिकारी विद्यालय जांच के लिए पहुंचे थे.
लोहरदगा में सरकारी स्कूल की हालत चिंतित करने वाली है. जर्जर कमरे, बेंच-डेस्क की कमी, शिक्षकों की कमी, बच्चों के लिए बेहतर संसाधन का न होना जैसे सरकारी स्कूल की नियति बन चुकी है. विभाग का भी शहर के विद्यालय पर कोई ध्यान नहीं आता है.