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निजी स्कूलों को टक्कर देता है ये सरकारी विद्यालय, देश-विदेश में नाम रोशन कर रहे यहां के बच्चे

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Published : Aug 2, 2019, 6:19 PM IST

लोहरदगा के गांधी मेमोरियल प्लस टू उच्च विद्यालय आज किसी भी निजी स्कूल को टक्कर दे रहा है. पढ़ाई की गुणवत्ता से लेकर उपलब्ध बेहतर सुविधाएं अपने आप में स्कूल को खास बनाती हैं. यहां के विद्यार्थी प्रशासनिक अधिकारी, नेवी,आर्मी जैसे कई क्षेत्रों में अपना योगदान दे रहे है.

विद्यार्थी को दी जा रही गैर पांरपरिक शिक्षा

लोहरदगाः कुडू प्रखंड अंतर्गत माराडीह गांव में स्थित गांधी मेमोरियल प्लस टू उच्च विद्यालय की स्थापना से लेकर आज तक का इतिहास काफी गौरवशाली है. सरकारी होने के बाद भी विद्यालय में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा दी जा रही है.

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948 में 4 कमरों का विद्यालय था, आज है 22 कमरों का

कुडू के रहने वाले केएन भारती ने वर्ष1948 में विद्यालय की स्थापना के लिए कुल 14.88 एकड़ जमीन दान किया था. तब महज चार कमरों से विद्यालय की शुरुआत हुई थी. आसपास के गांव के बच्चों को विद्यालय में लाकर नामांकन कराया जाता था. किसी ने सोचा नहीं था कि वही विद्यालय आज इतना बड़ा विद्यालय बन जाएगा. आज इस विद्यालय में 22 कमरे हैं,19 शिक्षक हैं और 814 विद्यार्थी नामांकित हैं. विद्यालय में बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ कंप्यूटर और ब्यूटीशियन की भी शिक्षा दी जा रही है. जो बच्चों के भविष्य निर्माण में सहायक होगा.

यहां पढ़ने वाले बच्चें प्रशासनिक अधिकारी बन समाज सेवा में दे रहे योगदान

विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे गर्व से कहते है कि वे इस विद्यालय के विद्यार्थी है. इस विद्यालय के विद्यार्थी विदेशों में विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. प्रशासनिक और पुलिस सेवा में कई अपनी सेवा भी दे रहे हैं. गरीब परिवारों से संबंध रखने वाले बच्चे इस विद्यालय में नामांकन लेते हैं. विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था पर सभी संतुष्ट हैं.

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सरकारी होने के बाद भी शिक्षा की गुणवत्ता बरकरार

भूमि दाता केएन भारती के पुत्र कहते है कि उनके दादाजी ने कुल 5 विद्यालयों का निर्माण कराया था. उनका परिवार शिक्षा के विकास को लेकर हमेशा समर्पित रहा है. आज विद्यालय की स्थिति को देखकर काफी खुशी होती है. यह विद्यालय निरंतर रूप से आगे बढ़ रहा है. विद्यार्थी भी कहते है कि स्कूल में काफी अच्छी पढ़ाई होती है. सुविधाओं से जुड़े किसी बात पर विद्यार्थियों को कोई शिकायत नहीं है. बता दें कि स्कूल 1954 में सरकार ने अपने अधीन कर लिया था.

शिक्षक भी विद्यालय का इतिहास बताते हुए अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं. शिक्षक कहते हैं कि यहां का इतिहास ही गौरवपूर्ण नहीं है, बल्कि आने वाला भविष्य भी गौरवशाली होगा.

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