लोहरदगा: जिले के कुडू और सेन्हा प्रखंड में सबसे अधिक मिर्च की खेती होती है. दोनों ही इलाके लोहरदगा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में आते हैं. यहां पर किसानों को इसका अधिक फायदा भी पहुंचता है, क्योंकि रांची, गुमला, लातेहार के अलावा भी कई जिलों के व्यापारी इस क्षेत्र में आकर मिर्च खरीदते हैं.
लोहरदगा में किसानों को मिर्च की बिक्री के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है. यहां के किसानों की हरी मिर्च अगर सही दामों में नहीं बिकता है तो किसान मिर्च को सूखाकर लाल मिर्च और सुखी मिर्च के रूप में तब्दील कर देते हैं और बाजरों में बेचते हैं, जिसकी कीमत भी अधिक मिल जाती है. यहां के किसानों को हर तरफ से मुनाफा ही मुनाफा होता था. इन क्षेत्रों में मिर्च की खेती की पैदावार ज्यादा होने की एक वजह यह भी है कि यहां सिंचाई के साधन बेहतर है. खेती के लिए मजदूर से लेकर तैयार फसल को बेचने के लिए बाजार तक उपलब्ध है, हालांकि जिले के अन्य क्षेत्रों में भी मिर्च की खेती होती है, लेकिन इन दोनों क्षेत्रों की बात ही निराली है.
लॉकडाउन ने तोड़ी किसान की कमर
लोहरदगा में लॉकडाउन की वजह से जहां अन्य फसलों के पैदावार और किसान प्रभावित हुए हैं, वहीं मिर्च की खेती ने भी किसानों को तगड़ा झटका दिया है. जिले में किसानों का एक बड़ा वर्ग मिर्च की खेती के सहारे ही अपना जीवन यापन करते हैं, लेकिन इस बार लोहरदगा के किसानों को दोहरी मार पड़ गई है. पहले तो तिरंगा यात्रा के दौरान हिंसा के बाद कर्फ्यू की वजह से लोहरदगा लगभग 1 महीने तक डर का माहौल रहा, जिससे किसानों पर असर पड़ा. वहीं अब लॉकडाउन की वजह से खेती बर्बाद हो गई. मिर्च की पैदावार को जब बेचने की बारी आई तो ना तो कोई खरीदार मिल रहे और ना ही बाजार ही उपलब्ध है. किसान करें तो क्या करें. किसानों को अब कोई उपाय नहीं दिखा दे रहा है. अब तक सरकार की ओर से भी किसानों के लिए कोई पहल नहीं की गई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.