लोहरदगाः शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को सम्मान देने के लिए प्रधानमंत्री ने उन्हें एक नाम दिया, दिव्यांग. दिव्यांग मतलब जो ईश्वर का अंग हो. दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि लोहरदगा में एक ही परिवार में तीन दिव्यांग हैं. सरकारी योजनाओं का लाभ तो दूर इनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है. ये संरक्षित कहे जाने वाले आदिम जनजाति समुदाय के सदस्य हैं.
सेन्हा प्रखंड के अलोदी पंचायत के ऊरु चटकपुर गांव के आदिम जनजाति परिवार के तीन सदस्य दिव्यांग हैं. इनके नाम रामदेव असुर, कतनी असुर और राहुल असुर है. इसमें से रामदेव असुर और कतनी असुर पैर से दिव्यांग है. दोनों लड़खड़ा कर चलते हैं. वहीं, राहुल असुर बोलने और सुनने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे हालात में परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है.
दिव्यांगता की वजह भी नहीं है अब तक पता
दिव्यांग बच्चों के परिवार के सदस्य कहते हैं कि इन्हें लकवा मार गया है, पर सच्चाई यह है कि उन्हें भी पता नहीं कि हुआ क्या है. झोलाछाप डॉक्टर ने जो बता दिया बस उसे ही आज तक मानते आ रहे हैं. न तो कभी ठीक तरीके से जांच हुई है और न ही सरकार की किसी योजना का लाभ ही मिल पाया है.