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आदिवासी समुदाय को हाल सर्वे मंजूर नहीं, 1932 के खतियान को लागू करने की मांग

आदिवासी समुदाय के लोगों ने गुरूवार को पूरे परंपरिक तरीके से लाट्ठी-डंडे और हथियार के साथ जुलूस निकाला. उनकी मांग है कि 1932 के कतियान को ऑनलाइन किया जाए. समुदाय का कहना है कि हाल के सर्वे में बहुत सारी गलतियां पाई गई जिससे आने वाले समय में कई परेशानियां हो सकती है.

आदिवासी समुदाय का विरोध.

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Published : Feb 7, 2019, 5:51 PM IST

लोहरदगा: जिले के आदिवासी समुदायों ने गुरुवार को अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. समुदाय का कहना है कि हाल सर्वे में कई कमियां पाई गई हैं. इन त्रुटियों के कारण उनकी जमीन और पहचान दोनों मिट जाएगी. जिसके विरोध में आदिवासी समुदाय ने परंपरागत रूप से लाठी और परंपरागत हथियारों के साथ जुलूस निकाल कर सरकार का ध्यान केंद्रित किया.

आदिवासी समुदाय का विरोध.

आदिवासी समुदाय के लोगों को हाल सर्वे मंजूर नहीं है. आदिवासी समुदाय के लोग राज्य सरकार से 1932 के खतियान को लागू करने की मांग कर रहे हैं. समुदाय के लोगों का कहना है कि हाल सर्वे में कई त्रुटियां हैं. जिसकी वजह से आदिवासियों की पहचान और उनकी धर्म संस्कृति पर खतरा बढ़ गया है. यदि सरकार 1932 के खतियान को ऑनलाइन करती है तो उनके अस्तित्व और परंपरा की रक्षा होगी.

खतियान ऑनलाइन करने की मांग
आदिवासियों का कहना है कि हाल सर्वे से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही खतियान को ऑनलाइन नहीं किया गया तो उनकी पहचान मिट गई है. पहनाई जमीन सहित धार्मिक स्थलों को कोई पहचान नहीं मिल पा रही है. सरकार इस पर भी राजस्व वसूल रही है.

पारंपरिक तरीके से निकाला जुलूस
वहीं, सरकार के इस बदलाव के बाद आदिवासी समुदाय के लोगों में काफी नाराजगी देखी जा रहा है. जिससे नाराज लोगों ने परंपरागत रूप से लाठी-डंडे और हथियारों के साथ विरोध कर रहे. लोहरदगा जिले के सेन्हा प्रखंड से लेकर समाहरणालय मैदान तक इन्होंने जुलूस निकाला. साथ ही समाहरणालय मैदान के समक्ष प्रदर्शन करते हुए सरकार का ध्यान अपनी मांग की ओर आकृष्ट कराया और जल्द मांग को पूरा करने की बात कही.

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