लोहरदगा: सावन पूर्णिमा के दिन भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है और भाई अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेते हैं, लेकिन इस बार कोरोना ने त्योहार पर भी कहर बरपाया है. इस बार राखियों की दुकानें तो सजी हैं, लेकिन उन्हें खरीदने के लिए ग्राहक सीमित संख्या में आ रहे हैं.
कोरोना के कारण राखियों की मांग नहीं
जिले में हर साल एक अनुमान के मुताबिक लगभग 25 लाख रुपये के राखी का कारोबार होता है. इसके लिए राखियां रांची, कोलकाता, दिल्ली आदि स्थानों से मंगाई जाती हैं. बिहार के गया से भी राखियां तैयार करने के लिए कच्चा माल मंगाने का काम लोग करते हैं. इस बार कोरोना वायरस का असर ऐसा हुआ कि राखियों की मांग ही बिल्कुल नजर नहीं आ रही है, जबकि रक्षाबंधन के त्योहार में अब कुछ ही दिन बचा हुआ है. बहनें दूरदराज रहने वाले अपने भाइयों के लिए कुरियर और डाक के माध्यम से राखी भेजने का काम करती थीं. इस बार वह उत्साह भी दिखाई नहीं दे रहा है.