लोहरदगा: मानसून शुरू होते ही हर ओर हरियाली और पानी नजर आ रही है. धरती की हरियाली लौटने लगी है. खेतों में खरीफ फसल को लेकर तैयारी शुरू हो चुकी है. बरसात को याद करते ही पानी का अहसास अपने आप होने लगता है, लेकिन लोहरदगा में पानी के लिए इन दिनों जंग छिड़ी हुई है. यह जंग शहर में जलापूर्ति को लेकर है.
प्रति व्यक्ति 145 लीटर आवश्यकता लोहरदगा शहरी क्षेत्र की कुल आबादी 75 हजार है. शहरी क्षेत्र में 26 हजार जलापूर्ति कनेक्शन हैं. जबकि 5 हजार से ज्यादा अवैध जलापूर्ति कनेक्शन भी हैं. यहां पर शहर में जलापूर्ति करने के लिए अलग-अलग जलापूर्ति मीनार मिलाकर कुल ढाई लाख गैलन कैपेसिटी की जलापूर्ति मीनार है. वहीं, शहरी जलापूर्ति योजना के संवेदक का कहना है कि नियमित रूप से हर दिन शहर में 6.5 लाख जलापूर्ति की आवश्यकता है. तमाम परेशानियों के बावजूद जलापूर्ति संवेदक शहर में नियमित जलापूर्ति का दावा करते हैं, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है. कारण कई हैं. शहर में नियमित रूप से बिजली आपूर्ति नहीं हो पाने की वजह से लोगों को नियमित रूप से जलापूर्ति भी नहीं मिल पा रही है. बरसात शुरू होते ही बिजली की आवाजाही शुरू हो गई है. तकनीकी खराबी भी लगातार सामने आ रही है. ऐसे में जलापूर्ति सीधे तौर पर प्रभावित हुई है. लोगों को बरसात में भी पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोप रहे हैं.
जलापूर्ति के लिए 18 घंटे बिजली की जरूरत
शहरी जलापूर्ति योजना के लिए नियमित रूप से जल आपूर्ति को लेकर प्रतिदिन कम से कम 18 घंटे लगातार बिजली चाहिए. जबकि जलापूर्ति योजना के संवेदक कुमार संदीप का कहना है कि उन्हें 6 घंटे भी लगातार बिजली की आपूर्ति नहीं हो पाती है. शहर के अलग-अलग 8 जोन में जलापूर्ति करनी होती है. ऐसे में लगातार बिजली नहीं रहने से जलापूर्ति संभव नहीं है. लोहरदगा में प्रति व्यक्ति 145 लीटर प्रतिदिन पानी की खपत निर्धारित है. हालात ऐसे हैं कि लोगों को 2 से 3 दिन में पानी की आपूर्ति की जा रही है. नियमित रूप से जलापूर्ति नहीं हो पाने की वजह से लोग हैंडपंप, सार्वजनिक कुआं और वैट पर पानी के लिए निर्भर होकर रह गए हैं. जबकि बिजली विभाग का कहना है कि वह शहर में आमतौर पर 20 से 21 घंटे बिजली हर दिन आपूर्ति कर रहा है. फिलहाल शहरी जलापूर्ति योजना के शंख नदी पंप हाउस के समीप अंडर ग्राउंड बिजली केबल कटने की वजह से बिजली की आपूर्ति प्रभावित हुई है. जिसे अगले 10 दिनों में ठीक कर लिया जाएगा.
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हर साल जलापूर्ति के लिए लाखों खर्च
इसके अलावा भी बरसात की वजह से लगातार बिजली फाल्ट और कई समस्याओं के कारण बिजली की आपूर्ति प्रभावित होती है जिसके कारण नियमित रूप से लोगों को पानी भी नहीं मिल पा रहा है. कुल मिलाकर यहां पर पानी के लिए जंग छिड़ी हुई है. शहरी जलापूर्ति योजना के संवेदक बिजली विभाग को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हैं. जबकि बिजली विभाग का कहना है कि हम तो पूरी बिजली दे रहे हैं, अब जलापूर्ति करने वाले जाने कि वह जलापूर्ति क्यों नहीं कर पा रहे. शहर में जलापूर्ति नियमित रूप से नहीं होने से पानी के लिए कोहराम मचा हुआ है. हर साल बरसात के दिनों में ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ता है. जबकि बिजली आधुनिकीकरण के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. जलापूर्ति के नाम पर भी हर साल लाखों रुपए खर्च होते हैं. फिर भी लोग पानी के लिए परेशान हैं.
लोहरदगा में पानी के लिए कोहराम मचा हुआ है. बरसात शुरू होते ही बिजली और पानी की किल्लत भी शुरू हो गई है. बिजली विभाग जलापूर्ति करने वाली एजेंसी को जिम्मेवार ठहराते है. जबकि जलापूर्ति करने वाली एजेंसी नियमित रूप से बिजली नहीं मिल पाने के लिए बिजली विभाग को जिम्मेवार ठहराते हैं. यहां पर आम आदमी पिस रहा है. लोगों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है. बरसात में भी लोग पानी के लिए भटकने को विवश हैं.