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हुनर और सपनों पर वायरस का कहर, घर के चूल्हे की आंच भी पड़ी धीमी

कोरोनाकाल में सब परेशान हैं. वहीं, स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी कोरोना के कारण आर्थिक संकट से जूझ रही हैं. इसकी वहज से लोहरदगा में कई महिलाओं का रोजगार छीन गया है.

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Published : Oct 5, 2020, 12:40 PM IST

लोहरदगा: एक महिला जब सशक्त होती है तो वह न आर्थिक और मानसिक रूप से मजबूत बनती है, बल्कि अपने परिवार को भी एक सहारा देती है. हुनर और सपनों के इस सफर कोरोना वायरस का अटैक हुआ. कोरोना संक्रमण की वजह से महिला मंडल समूह से जुड़ी हुई महिलाओं का रोजगार छीन गया है. जिले में महिला मंडल समूह के सदस्य खेती-बाड़ी, मधुमक्खी पालन, सौर ऊर्जा से संबंधित लैंप का निर्माण से जुड़ी हुई हैं. जब से कोरोना वायरस का संक्रमण का दौर शुरू हुआ है. तब से इन ग्रामीण महिलाओं का रोजगार छीन गया है.

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घर के बचत की तो दूर की बात, घर के चूल्हे की आंच भी धीमी पड़ चुकी है. कई महिलाओं ने महिला स्वयं सहायता समूह से कर्ज लेकर घर चलाने की कोशिश भी की, लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि कर्ज भी लौटा नहीं पा रही हैं. जबरन चेहरे पर मुस्कान लिए अपने दर्द को छुपाने की कोशिश कर रही ये महिलाएं तमाम कोशिश के बावजूद अपनी पीड़ा को छिपा नहीं पा रही हैं.

लोहरदगा में 3917 एसएचजी ग्रुप सक्रिय

लोहरदगा जिले के सात प्रखंड में कुल 3917 महिला स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं. जेएसएलपीएस के माध्यम से इन महिला समूह सदस्यों को अलग-अलग रोजगार के साधन से जोड़ कर रखा गया है. कोई महिला समूह मधुमक्खी पालन के काम से जुड़ी हुई हैं, तो कोई खेती-बाड़ी करके आर्थिक समृद्धि की ओर कदम बढ़ा रही हैं. कई महिला समूहों ने मुर्गी पालन और दूसरे व्यवसाय को भी गति दी है. सोलर लैंप निर्माण कार्य से भी कई महिलाएं जुड़ी हुई हैं.

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कोरोना ने छीना रोजगार

जब से कोरोना संक्रमण का दौर शुरू हुआ है, तब से इन महिलाओं का रोजगार छिन गया है. महिला सशक्तिकरण और आर्थिक उन्नति लोहरदगा की पहचान बन गई थी. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक लोहरदगा जिले की आबादी 4,62,790 है. 66 पंचायत वाले इस जिले में 353 ग्राम है. जिले की 87 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है. ऐसे में महत्वपूर्ण बात यह है कि स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाएं गांव को आर्थिक रूप से समृद्ध बना रही हैं. वर्तमान समय में स्वयं सहायता समूह का रोजगार ही नहीं छीना है, बल्कि आर्थिक समृद्धि की राह भी रूक गई है. काम नहीं है तो आय का साधन भी नहीं है. स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाएं बचत भी नहीं कर पा रही हैं. घर चलाने के लिए कर्ज लेने की मजबूरी है. इन महिलाओं की प्रगति की राह जैसे रूक सी गई है. आज इनके मन में निराशा घर कर गई है.

लोहरदगा में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई महिलाओं का रोजगार छिन चुका है. जब से कोरोना संक्रमण का दौर शुरू हुआ है, तब से स्वयं सहायता समूह का कामकाज बंद पड़ गया है. महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से हजारों महिलाएं ना सिर्फ बचत कर रही थी, बल्कि अपने परिवार का सहारा भी बनी हुई थी. आज कर्ज लेकर घर चलाना भी मुश्किल हो चुका है. महिलाओं की प्रगति पर कोरोना वायरस का कहर नजर आ रहा है.

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