लोहरदगाः जिले के सेन्हा प्रखंड के अलौदी पंचायत अंतर्गत साके गांव के स्कूली बच्चे हर रोज 8 से 10 किलोमीटर पगडंडियों से होकर गुजरते हुए, पहाड़ी नाले को पार कर उत्क्रमित उच्च विद्यालय मुर्की तोड़ार पहुंचते हैं. बरसात के दिनों में जब नदी समस्या बन जाती है, तो इन बच्चों के लिए स्कूल जाना भी मुश्किल हो जाता है. बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते हैं.
जान जोखिम में डाल जाते हैं स्कूल
वहीं, शहरों में स्कूली बच्चों के लिए कई अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं. जैसे स्कूल वाहन में जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम, स्कूलों में सीसीटीवी कैमरा, स्मार्ट क्लास और ना जाने कितनी सुविधाएं. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को स्कूल जाने के लिए भी कठिन रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर दूर साके बाजार डांडू पथ में धरधरिया जलप्रपात से उतरकर आने वाला पानी एक नदी में तब्दील हो जाती है. जिससे पहाड़ी नदी पार कर बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल आते और जाते हैं. तस्वीरें खुद हकीकत बयां कर रही है. इन बच्चों का शिक्षा के प्रति लगन देखकर प्रशंसा करनी चाहिए, पर इनकी समस्याओं के प्रति सरकार संवेदनहीन बनी हुई है.
साइकिल को संभालते हुए नदी पार करना होता है और भी मुश्किल
झारखंड में सरकार ने विकास के पैमाने को पर खरी उतरी है. सरकार ने स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाई है, शिक्षकों की बहाली भी की. लेकिन इन बच्चों को स्कूल तक आने में होने वाली परेशानी की ओर सरकार का ध्यान नहीं है. बच्चों के हाथ में साइकिल होती है, जो सुविधा के बजाय परेशानी बन जाती है. बच्चे किसी तरह से इस नदी को पार करते हैं. कपड़े खराब होने, साइकल खराब होने, जूते खराब होने का डर इन्हें सताता रहता है. यदि जूता पहनकर ना जाएं तो स्कूल में फटकार और जूता पहन कर जाएं तो घर में फटकार.