लोहरदगा: लोग अपने-आप में सवाल करते हैं कि उनसे आखिर ऐसी क्या बेरुखी है कि विकास का सपना ही तो देखा था, उन्होंने बेहतरी की ही तो उम्मीद लगाई थी. क्यों इस सपने को पूरा होने में 13 साल का समय लग गया है. क्या आने वाले एक साल में भी उनका यह सपना पूरा हो पाएगा.
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लोहरदगा जिला के कैरो प्रखंड (kairo Block) के लोगों का यह सपना आज भी सपना ही है. लोहरदगा और कैरो प्रखंड को जोड़ने वाले बंडा नदी पर पुल निर्माण, जो करीब 13 साल से रूका हुआ था, प्रशासनिक तंत्र (Administrative machinery) अब इस सपने के पूरा होने की बात कह रहे हैं, पर लोगों को अब भी इंतजार है कि कब उनके सपने को पूरा करने को लेकर कदम बढ़ाए जाएंगे. क्योंकि उनके सपने के साथ उनका विकास और भविष्य जुड़ा हुआ है.
क्या कहते हैं अधिकारी
पुल के अभाव (Lack of bridge) में लोगों की हो रही परेशानी पर लोहरदगा जिला प्रशासन (Lohardaga District Administration) पुल निर्माण को लेकर संवेदनशील नजर आ रहा है. इस संबंध में ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के अधिकारी बताते हैं कि नदी में पुल निर्माण के लिए डीपीआर तैयार करने का निर्देश मिला है. जनप्रतिनिधियों की ओर से पुल निर्माण की अनुशंसा की गयी है. जानकारी अनुसार 2021 में पुल निर्माण का काम पूरा कराने की बात कही जा रही है.
क्यों इस पुल के बनने में लग गया इतना समय
लोहरदगा में ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल (Rural Development Special Division) की ओर से एक करोड़ दो लाख की लागत से साल 2008-09 में लोहरदगा और कैरो प्रखंड को जोड़ने वाले बंडा नदी पर पुल निर्माण कार्य शुरू हुआ. काम शुरू तो हो गया पर, इसकी गुणवत्ता को लेकर ग्रामीणों में असंतोष व्याप्त हो गया. उन्होंने इस बात की शिकायत जिला प्रशासन से कर दी. जिसके बाद जिला प्रशासन की ओर से भी मामले की जांच की गई. जांच में निर्माण कार्य करा रही एजेंसी को दोषी पाया गया. जिसके बाद पुल का निर्माण करा रही एजेंसी को काली सूची में डाल दिया गया.
आज उस बात को 13 साल गुजर चुके हैं, फिर भी बंडा पुल का निर्माण कार्य आधा-अधूरा ही पड़ा हुआ है. पुल निर्माण को लेकर जो पिलर (Pillar) खड़े किए गए थे, वह पिलर भी अब झुकने लगे हैं. ग्रामीणों के हालात पर मुंह चिढ़ाते हैं, कहते हैं पुल के साथ ग्रामीणों का विकास भी आधा रह जाएगा.
कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है
कैरो प्रखंड के लोगों को जिला मुख्यालय आने के लिए कई किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है. नंदनी नदी पर बनाया जा रहा बंडा पुल पूरा होने से कैरो प्रखंड के लोगों को 13 किलोमीटर की कम दूरी तय करनी पड़ती. फिलहाल कैरो प्रखंड के लोगों को अगर लोहरदगा जिला मुख्यालय आना हो तो उन्हें या कुडू प्रखंड जाना पड़ता है या फिर भंडरा प्रखंड होते हुए लोहरदगा जिला मुख्यालय (District headquarters) आना पड़ता है. जिसमें उन्हें 35 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है. इस पुल के बनने से उनके लिए 13 किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी.
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विकास से कोसों दूर हो गए ग्रामीण
आलम ऐसा है कि जब आपातस्थिति (Emergency situation) में रोगियों को अस्पताल (Hospital) पहुंचाने के लिए कई किलोमीटर और काफी वक्त यूं ही बर्बाद होता है, इसमें कई बार लोगों की जान भी चली जाती है. पुल निर्माण को लेकर अब तक प्रशासनिक और सरकारी उदासीनता ने यहां के लोगों को निराश कर दिया है. पुल नहीं बनने के कारण सड़क की हालत खराब है. आसपास के गांव का विकास नहीं हो पा रहा है. बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही है. किसान अपने उत्पादों को बाजार तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. बरसात के दिनों में तो हालत और भी ज्यादा खराब हो जाती है.
इलाके के विकास का सपना तब तक पूरा नहीं हो सकता है, जब तक पुल और सड़क ना बनें. अगर किसी नदी पर पुल ना हो तो उस नदी के दोनों छोर के गांव विकास से प्रभावित होते हैं. बात तब और गंभीर हो जाती है, जब उस पुल के साथ किसी एक प्रखंड का विकास अधूरा हो. लोहरदगा जिला में इसी प्रकार की स्थिति एक प्रखंड के साथ हुई है. पिछले 13 साल से यहां के लोग सपना देख रहे हैं कि यह पुल बने और क्षेत्र का विकास हो, लोगों को अब भी पुल बनने का इंतजार है.