भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने साधा सीएम हेमंत पर निशाना, कहा- चोर की दाढ़ी में तिनका
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने लोहरदगा में वर्तमान स्थितियों को लेकर कई महत्वपूर्ण बयान दिए हैं (BJP spokesperson statements). उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर चुनाव आयोग की चिट्ठी (Election Commission envelope in Jharkhand), जबरन धर्मांतरण सहित अन्य मुद्दों पर अपना बयान दिया.
लोहरदगा: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा लोहरदगा आए हुए थे. इस दौरान प्रदीप सिन्हा ने मीडिया के प्रतिनिधियों से भी बात की. उन्होंने राज्य सरकार के 3 साल के कार्यकाल को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें कहीं. इसके अलावा वर्तमान समय में राज्य के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे जबरन धर्मांतरण, ईडी जांच और चुनाव आयोग के लिफाफे को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया है (BJP spokesperson statements).
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चुनाव आयोग की चिट्ठी पर सीएम को बेचैनी क्यों-भाजपा: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा से जब यह सवाल पूछा गया कि आखिर चुनाव आयोग के लिफाफे (Election Commission envelope in Jharkhand) को लेकर राज्यपाल से चीजों को स्पष्ट करने की मांग भाजपा क्यों नहीं कर रही है, जबकि मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि लगता है कि लिफाफे को भूल चुके हैं. इस सवाल पर प्रदीप सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री में बेचैनी देखी जा रही है. वह कई बार प्रयास कर चुके हैं कि लिफाफा खोला जाए. खुद भी वह राज्यपाल से मिल चुके हैं. इसके अलावा सूचना का अधिकार अधिनियम का भी सहारा लिया था. आखिर मुख्यमंत्री को इतनी बेचैनी क्यों है? इससे स्पष्ट होता है कि चोर की दाढ़ी में तिनका है. अब मुख्यमंत्री को पता चल चुका है कि फंदा पूरी तरह से फंस चुका है, जहां तक मांग करने की बात है तो यह दो संवैधानिक संस्थाओं की बात है. इसमें भाजपा हस्तक्षेप नहीं करेगी.
रघुवर दास के खिलाफ ईडी जांच को लेकर प्रदीप सिन्हा का बयान: वहीं बार-बार सरयू राय द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ भी ईडी जांच की मांग को लेकर कही जा रही बातों पर प्रदीप सिन्हा ने कहा कि ईडी को यदि आवश्यकता होगी, तो वह जांच का दायरा बढ़ाएगी. जब उसे जो जांच करनी होगी, वह करेगी. वहीं उन्होंने राज्य में जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर कहा कि यह गंभीर स्थिति है. इस मुद्दे को लेकर सरकार को सचेत करना चाहते हैं कि यदि यह नहीं रुका तो स्थिति बिगड़ सकती है. सरकार को इस मसले को गंभीरता से लेना चाहिए. वर्तमान परिस्थितियों से ऐसा लग रहा है कि ऐसे लोगों को सरकार का संरक्षण प्राप्त है.