लोहरदगा: जिले सबसे बड़ा अस्पताल सदर अस्पताल खुद ही बीमार है. सदर अस्पताल में कई जरूरी मशीनें खराब पड़ी हुई हैं. इनमें बच्चों के इलाज को लेकर आवश्यक रेडिएंट वार्मर भी शामिल है. रेडिएंट वार्मर खराब होने की वजह से बच्चों के अभिभावकों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों की दौड़ लगानी पड़ती है. अस्पताल में दवाओं का भी वही हाल है. ज्यादातर दवाईयां बाहर से खरीदकर लानी पड़ती हैं. सफाई का अभाव भी अभिभावकों को परेशान करता है.
सदर अस्पताल लोहरदगा में बच्चों के इलाज को लेकर समुचित व्यवस्था नहीं होने से अभिभावकों की परेशानी काफी बढ़ी हुई है. अभिभावक खुलकर कहते हैं कि यहां इलाज के नाम पर समुचित व्यवस्था नहीं की गई है. जबकि सदर अस्पताल पूरे जिले में सबसे बड़ा अस्पताल है. सरकार यहां पर इलाज के लिए लाखों रुपए खर्च करती है, बावजूद इसके मरीजों को पूरी सुविधा तक नहीं मिल पाती है.
नहीं हो पा रहा बच्चों का इलाज
आलम यह है कि एक ही कमरे में जैसे-तैसे तंग हालत में बच्चों को रखना पड़ता है. किस बच्चे को क्या परेशानी है, संक्रमण कैसे फैल जाएगा, यह देखने वाला भी कोई नहीं है. सदर अस्पताल की एक बड़ी परेशानी यहां चिकित्सकों की कमी और चिकित्साकर्मियों का अभाव भी है. आए दिन मरीज और उनके परिजन काफी परेशान होते हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग की अपनी ही दलील है. सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार कहते हैं कि हमारे यहां सदर अस्पताल में दो शिशु रोग विशेषज्ञ हैं. जो बेहतर ढंग से बच्चों का इलाज कर रहे हैं. यहां किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं है, लेकिन इसके विपरीत परिजन काफी परेशान दिखाई देते हैं.