लोहरदगा: कोरोना महामारी ने सिर्फ जिंदगी में नाकामियां ही नहीं दी, बल्कि कुछ ऐसी चीजें भी दी हैं, जिसने इंसान को परिस्थितियों से दो-दो हाथ करना सीखा दिया है. कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में लोगों से रोजगार को छिनने का काम किया और तमाम आर्थिक गतिविधियां बंद पड़ गई. जिससे रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य में जाने वाले लोहरदगा के 28 हजार मजदूर परिवार बेरोजगार होकर अपने घर लौटने लगे थे. मायूसी मजदूर परिवारों की नियति बन चुकी थी. ऐसे में सरकार ने लोगों को अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से रोजगार से जोड़ने की कोशिश की.
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प्रशासन ने रोजगार को दिया नया रूप
लोहरदगा जिले में रोजगार की तलाश में हर साल पलायन करने वाले मजदूर परिवारों के लिए स्थानीय तौर पर रोजगार आसान नहीं था. ऐसे समय में जिला प्रशासन ने मजदूरों को कृषि, मनरेगा के माध्यम से रोजगार से तो जोड़ दिया. लेकिन इन मजदूर परिवार की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए सरकार और प्रशासन को कुछ अलग करना था. जिला प्रशासन के प्रयास से लोहरदगा जिले के किस्को प्रखंड कार्यालय के पुराने भवन में औद्योगिक सिलाई केंद्र का शुभारंभ किया गया. यहां पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की पहल हुई. सबसे पहले 400 से ज्यादा महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण दिया गया. इसके बाद इन्हें औद्योगिक प्रशिक्षण सिलाई केंद्र में रोजगार दिया गया.
150 परिवारों को मिला रोजगार
सिलाई प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से 150 परिवारों को रोजगार मिला है. अब तो हर महीने प्रत्येक परिवार को 8 से 15 हजार रुपये की आमदनी हो रही है. लोहरदगा जिले में हर साल विभिन्न विद्यालयों में पढ़ने वाले लगभग 57,000 बच्चों को विद्यालय के पोशाक की आवश्यकता होती थी. पहले पोशाक की आपूर्ति ग्रामसभा के माध्यम से दुकानदारों की ओर से कराई जाती थी. पोशाक की गुणवत्ता और उसके मूल्य को लेकर हमेशा ही विवाद होता रहता था. ऐसे में प्रशासन ने औद्योगिक सिलाई प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से महिलाओं को विद्यार्थियों की पोशाक तैयार करने का काम दिया. जेएसएलपीएस से जुड़ी प्रशिक्षित महिलाएं इस पोशाक को तैयार कर रही है. जिसकी वजह से विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण और समय पर पोशाक मिल पा रहा है. अब तो स्थिति ऐसी हो गई है कि गुमला और सिमडेगा जिले से भी पोशाक निर्माण के लिए ऑर्डर प्राप्त हो रहे हैं.
रोजगार से आया आर्थिक स्थिति में बदलाव
वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए इस केंद्र से जिले के कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों के लिए पोशाक का निर्माण कराया जाएगा. इसके अलावा जिले के केंद्रीय विद्यालय और निजी विद्यालय के बच्चों का भी ड्रेस अब इस केंद्र में सिला जाएगा. विगत दिनों झारखंड सरकार के वित्त एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव और राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू ने इस केंद्र का विधिवत उद्घाटन किया था. महिलाओं को रोजगार देने के मामले में उप विकास आयुक्त कुमार सिन्हा कहते हैं कि निश्चित रूप से रोजगार की यह परिभाषा क्षेत्र में महिलाओं को सीधे तौर पर रोजगार से जोड़ रही है. आज महिलाएं बड़ी संख्या में इस केंद्र के माध्यम से रोजगार पा रही है. जिससे उनके परिवार में आर्थिक स्थिति में भी बदलाव आया है. जल्द ही ऐसा केंद्र दूसरे स्थानों में भी खोले जाने की योजना है.