लातेहार: साल 2018 में ही लातेहार जिले को पूरी तरह ओडीएफ घोषित कर दिया गया है, लेकिन ओडीएफ की सच्चाई धरातल पर कुछ और ही दिखती है. कागजोंं पर भले ही जिले के सभी गांव ओडीएफ हो चुके हों, लेकिन आज भी अधिकांश ग्रामीण खुले में शौच करते हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने लातेहार जिले में ओडीएफ की सच्चाई की पड़ताल की. इस दौरान हमारी के गारू प्रखंड के चौरहा और महुआटाड़ प्रखंड के नैना गांव पहुंची. दोनों गांव को सरकारी स्तर पर ओडीएफ घोषित कर दिया गया है. दोनों गांव में ओडीएफ का बोर्ड भी लगा दिया गया, लेकिन नैना गांव में किसी भी ग्रामीण के घर में शौचालय नहीं है. वहीं, चौरहा गांव के अधिकांश ग्रामीणों के घर में शौचालय नहीं बना, जिनके यहां शौचालय बना है उनके शौचालय की भी स्थिति ऐसी नहीं है जिसका उपयोग किया जा सके. ऐसे में ग्रामीण आज भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं.
चौरहा में शौचालय की स्थिति जर्जर
गारू प्रखंड के चौरहा गांव में लगभग 100 की संख्या में आदिवासी परिवार रहते हैं. गांव को ओडीएफ घोषित कर बोर्ड लगा दिया गया है, लेकिन गांव के अधिकांश लोग खुले में शौच कर रहे हैं. गांव के जेठा घासी, पूनम देवी और रुनवा देवी ने बताया कि गांव में अधिकांश लोगों के घर में शौचालय नहीं बना है, जिनके घर शौचालय है उसकी स्थिति इतनी खराब है कि उसका उपयोग नहीं होता है. ऐसे में ग्रामीणों को मजबूरी में खुले में शौच जाना पड़ता है.
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