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यहां के लोगों के लिए TV है अजूबा चीज, किसी वाहन से नहीं पहुंच सकते आप

लातेहार से लगभग 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित सदर प्रखंड का भोकाखाड़ गांव में विकास की किरणें आज तक नहीं पहुंची. यहां के लोगों को आज तक बिजली, टीवी, सड़क और पीने .योग्य पानी तक नसीब नहीं.

गांव का हाल

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Published : Jun 14, 2019, 3:20 PM IST

लातेहार: जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित सदर प्रखंड का भोकाखाड़ गांव आजादी के 72 साल बीत जाने के बाद भी विकास से दूर है. यहां न तो बिजली है, न सड़क और न ही पीने के लिए साफ पानी, पेश है एक रिपोर्ट.

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यहां कोई सुविधा नहीं
ऐसे तो हम 21वीं सदी में हैं. सारी सुविधाओं से भी हम लैस हैं, हम अब हर कुछ के मामले में आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इन तमाम सुविधाओं से महरूम हैं.

गांव के लोगों ने नहीं देखी है TV
इस गांव में आज तक लोगों ने टीवी नहीं देखा है. यह सुनने में भले ही अटपटा लगे, लेकिन बात पूरी तरह सच है. इनके लिए आज भी टीवी किसी अजूबे से कम नहीं है. जहां आजादी के 72 साल बाद भी विकास की किरण नहीं पहुंच पाई.

चलने के लिए सड़क तक नहीं
जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित सदर प्रखंड का भोकाखाड़ गांव की कहानी काफी दुखद है. लगभग 20 परिवार वाले इस गांव में सरकारी विकास के दावे पूरी तरह फेल हो गए हैं. आज तक इस गांव में पहुंचने के लिए कच्ची सड़क तक नहीं बनाई जा सकी है. गांव के लोगों को लगभग 3 किलोमीटर पैदल पहाड़ी से उतरना पड़ता है. गांव में बिजली की बात ही दूर है, यहां तो पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है.

समस्याओं का होगा समाधान
ग्रामीणों के आग्रह पर लातेहार सदर प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक पहली बार गांव पहुंचे. बीडीओ को भी 3 किलोमीटर पैदल पहाड़ी रास्ते पर चल कर गांव पहुंचना पड़ा. गांव के हाल को देखकर बीडीओ ने काफी अफसोस जताई और ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा.

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अधिकारी को देख खुश हुए ग्रामीण
इधर, गांव में पहली बार किसी अधिकारी को देख कर ग्रामीणों का उत्साह चरम पर था. ग्रामीणों ने खुलकर अपनी समस्याएं प्रखंड विकास पदाधिकारी के समक्ष रखी. बहरहाल गांव का हाल काफी बेहाल है. इस गांव में रहने वाले 5 लोगों को इस वर्ष प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति मिली है. पर उनके समक्ष समस्या यह है कि आवास बनाने के लिए मटेरियल गांव तक कैसे लाया जाए?

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