लातेहारःभाई बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन देशभर में शुक्रवार को भी मनाया जा रहा है. इसको लेकर लोगों में उत्साह का माहौल है. त्योहार के लिए रक्षाबंधन मुहुर्त की परंपरा के बारे में तो सबका ध्यान रहता है. लेकिन जगह-जगह पर रक्षाबंधन त्योहार को लेकर परंपरा में कुछ भिन्नता भी देखने को मिलती है. ऐसे ही लातेहार में रक्षाबंधन की अनोखी परंपरा प्रचलित है, जिसमें बहनें भाई से उपहार की जगह बुराई त्यागने का वचन लेती हैं.
लातेहार में रक्षाबंधन की अनोखी परंपरा, जिसमें बहनें भाई से लेती हैं पांच वचन
रक्षाबंधन का त्योहार देश भर में मनाया जाता है. इस दौरान रक्षाबंधन मुहुर्त पर बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं. लेकिन समय और जगह के साथ कई जगह परंपरा में कुछ बदलाव देखने को मिलता है. ऐसी ही रक्षाबंधन की अनोखी परंपरा लातेहार में प्रचलित है. जहां बहनें भाइयों से रक्षाबंधन पर वचन लेती हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट.
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परंपरा के अनुसार रक्षाबंधन पर बहनें भाइयों के कल्याण के लिए उसकी कलाई पर राखी बांधती हैं और बदले में भाई अपनी बहन को अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार देते हैं. लेकिन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में रक्षाबंधन की अलग परंपरा है. यहां भाइयों को राखी बांधने वाली बहनें भाइयों से उपहार के रूप में न तो पैसे लेती हैं और न ही कोई महंगा उपहार लेती हैं. ब्रह्मकुमारी बहनें भाइयों के कलाई पर राखी बांधने के बाद उपहार के रूप में भाइयों से बुराई त्यागने का वचन लेती हैं.
गुप्ता ने कहा कि लोभ, मोह, काम, क्रोध इत्यादि बुराइयां तो मनुष्य में होती ही हैं. इसके अलावा कई अन्य बुराइयां भी मनुष्य को अपनी चपेट में ले लेती हैं. जैसे शराब पीना, मांस मदिरा का सेवन करना, झूठ बोलना, जुआ खेलना, अपराध करना आदि कई प्रकार की बुराइयां भी मनुष्य में आ जाती हैं. इससे इस केंद्र की बहनों द्वारा लोगों को राखी बांधने के बाद उपहार के रूप में बुराई त्यागने का वचन मांगा जाता है .इसका सकारात्मक परिणाम भी समाज में दिखने लगा है.
समाज में बदलाव मकसदःप्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की अमृता बहन ने बताया कि समाज में बदलाव ही हम सभी का मकसद है. उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन का त्योहार आध्यात्म से जुड़ा हुआ है. यहां भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उन्हें आत्मस्मृति कराई जाती है. वहीं उनका मुंह मीठा कराकर हमेशा मधुर बोलने की सलाह दी जाती है. राखी बांधने के बाद उपहार में पांच बुराई का त्याग करने का वचन भी लिया जाता है.