लातेहार: अल्पसंख्यक बच्चों को मिलने वाली छात्रवृत्ति की राशि लातेहार में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. बच्चों को मिलने वाली राशि को बिचौलिए खा गए. लाभुक बच्चे छात्रवृत्ति से वंचित रह गए. मामले का पर्दाफाश होने के बाद लातेहार जिला प्रशासन सक्रिय होकर पूरे मामले की जांच में जुट गई है.
अल्पसंख्यक बच्चों को केंद्र सरकार के द्वारा एनपीएस योजना के तहत प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति दिया जाता है, लेकिन झारखंड राज्य में यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड में भी बड़े पैमाने पर छात्रवृत्ति की राशि का घोटाला किया गया. मजेदार बात यह है कि जिस स्कूल के बच्चों के नाम पर छात्रवृत्ति के नाम पर पैसे आए हैं. उस स्कूल के शिक्षकों को भी इसकी भनक नहीं लगी.
महुआडांड़ के राजकीय बीएमसी स्कूल में कुल 137 बच्चे नामांकित थे, लेकिन फर्जी रूप से स्कूल में 237 से अधिक बच्चे का नामांकन दिखाकर उनके नाम पर छात्रवृत्ति आवंटित की गई, लेकिन पैसे बच्चों के हाथ तक नहीं पहुंचे. महुआडांड़ की एक छात्रा शगुफ्ता नाज ने बताया कि उसे आज तक कभी भी छात्रवृत्ति की राशि नहीं मिली है. यहां तक कि नामांकन के लिए भी उसे अपने घर से पैसे देने पड़े. वहीं, स्कूल की प्रधानाध्यापिका आशा मिंज ने कहा कि उन्हें इस संबंध में कुछ पता ही नहीं है. उन्होंने कहा कि गत वर्ष ही उन्होंने प्रधानाध्यापिका का प्रभार लिया है. छात्रवृत्ति का घोटाला कैसे किया गया उन्हें इस संबंध में कुछ जानकारी ही नहीं है.
3 स्कूलों से पकड़ाया घोटाला
महुआडांड़ प्रखंड मुख्यालय में स्थित बीएमसी महुआडांड़, मदरसा और एक निजी विद्यालय में छात्रवृत्ति घोटाला का मामला उजागर हुआ है. महुआडांड़ का निजी विद्यालय कहने के लिए तो आवासीय है, लेकिन उसमें मुश्किल से 50 बच्चों के रहने की भी सुविधा नहीं है. इस स्कूल से भी 200 से अधिक बच्चों के नाम पर छात्रवृत्ति की राशि मंगाई गई. इधर, लॉकडाउन के कारण स्कूल में ताला लटक रहा था. वहीं, मदरसा में भी मुश्किल से 50 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे होंगे, लेकिन यहां भी फर्जी रूप से 200 से अधिक बच्चा दिखा कर उनके नाम पर छात्रवृत्ति मंगाई गई है.