झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

कागज पर बनकर पूरा हुआ आदिम जनजातियों का बिरसा आवास, धरातल से गायब

लातेहार के बिचलीदाग गांव में आदिम जनजातियों का बिरसा आवास कागजों पर तो बनकर तैयार हो गया, लेकिन इसकी हकीकत अन्य सरकारी योजनाओं से कुछ खासा अलग नहीं है. कुछ ऐसा ही मामला बिचलीदाग गांव में देखने को मिला. यह खबर पहले भी ईटीवी भारत की टीम ने प्रमुखता से दिखाई थी लेकिन प्रशासन ने इसपर कोई कार्रवाई नहीं की. वहीं, एक साल बाद फिर डीसी से इस बाबत बात की गई तो उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

scam in Birsa Housing Scheme in Latehar
बिरसा आवास योजना में फर्जीवाड़ा

By

Published : May 13, 2021, 11:37 AM IST

Updated : May 13, 2021, 12:14 PM IST

लातेहार:मनिका प्रखंड अंतर्गत बिचलीदाग गांव में कागज पर ही आदिम जनजातियों का बिरसा आवास बना देने का मामला प्रकाश में आया है. कागज में तो आवास पूर्ण दिखाए जा रहे हैं लेकिन धरातल पर आवास के ईंट भी नहीं दिख रहे हैं.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-आदिम जनजातियों के हक पर बिचौलियों का डाका, लाभुक की हुई मौत तो उखाड़ ले गए ईंट

दरअसल, बिचलीदाग गांव में रहने वाले सात आदिम जनजातियों को वित्तीय वर्ष 2018-19 में बिरसा आवास योजना के तहत आवास की स्वीकृति प्रदान की गई थी. सभी लाभुकों के आवास का निर्माण गांव का ही एक बिचौलिया करवा रहा था, लेकिन 4 साल गुजर जाने के बाद भी किसी भी लाभुक का आवास पूरा नहीं हो सका. गांव के तेजू परहिया और अखिलेश परहिया दोनों सगे भाइयों का आवास भी वही बिचौलिया बनवा रहा था. इसी बीच अचानक तालाब में डूबने से तेजू और अखिलेश की मौत हो गई. बिचौलिए ने इनके आवास का पैसा निकाल लिया. वहीं, लाभुकों की मौत के बाद आवास को पूरा करने के बजाय दीवार में लगाए गए ईंट को भी उखाड़ कर ले गया.

आवास के अभाव में गांव छोड़ने को मजबूर

बिचौलिया जब लाभुकों के आवास का ईंट भी उखाड़ कर ले गया, तो मृतक तेजू और अखिलेश की पत्नी अपने बच्चों के साथ गांव से पलायन करने को मजबूर हो गई. लाभुकों की मां जितनी परहिया गांव में रहती है. जितनी अपने परिवार के बिखरने के गम में हमेशा रोती रहती है. उसने बताया कि उनके दोनों बेटे की मौत होने के बाद गांव का ही संजय आया और निर्माणाधीन घर की दीवार के सारे ईंट उखाड़ कर ले गया. इसके बाद मजबूरी में उनकी बहुओं को भी घर के अभाव में गांव छोड़कर जाना पड़ा. वहीं ग्रामीण महेंद्र परहिया ने बताया कि जितनी के दोनों जवान बेटों की मौत होने के बाद बिचौलिया इसके घर की ईंट भी उखाड़ कर ले गया.

ये भी पढ़ें-झारखंड की इस आदिम जाति की समस्याएं नहीं हो रही कम, नारकीय जीवन जीने को मजबूर

अन्य ग्रामीणों के घर भी अधूरे

गांव में कुल 7 लोगों के नाम से बिरसा आवास की स्वीकृति मिली थी. तेजू और अखिलेश के आवास का नामोनिशान नहीं है. वहीं, चमन परहिया के आवास के ऊपर छत भी नहीं लगा है. अन्य लाभुकों का आवास भी अधूरा ही है, लेकिन कागज में सभी को पूरा दिखा दिया गया. आवास के सामने बिजली का मीटर भी लगाकर आवास को पूर्णरूपेण सुविधा संपन्न बता दिया गया.

जांच कर होगी आवश्यक कार्रवाई

इधर, इस संबंध में जब लातेहार डीसी अबु इमरान से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह मामला काफी गंभीर है. इसकी जांच करवा रहे हैं इसके बाद दोषियों पर निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी. आदिम जनजातियों को सुविधा देने के लिए सरकार की ओर से योजनाएं तो बनाई जाती है, लेकिन उन योजनाओं का लाभ लाभुकों को मिल रहा है या नहीं इसकी भी मॉनिटरिंग जरूरी है, ताकि योजनाएं धरातल पर उतर सके.

Last Updated : May 13, 2021, 12:14 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details