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आदिम जनजातियों के हक पर बिचौलियों का डाका, लाभुक की हुई मौत तो उखाड़ ले गए ईंट - लातेहार में बिरसा आवास योजना पर घोटाला

लातेहार में मृत लाभुक आदिम जनजाति परिवार के निर्माणाधीन आवास की ईंट बिचौलिए उखाड़ कर ले गए. बता दें कि इससे उनका पूरा परिवार बिखर गया है. रहने के लिए अब छत नसीब नहीं है.

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Published : Jun 26, 2020, 7:17 PM IST

लातेहार: आदिम जनजातियों के हक और अधिकार पर बिचौलियों के डाका डालने की खबर तो आम बात हो गई है. पर लातेहार जिले के मनिका प्रखंड अंतर्गत बिचलीदाग गांव के एक बिचौलिए ने मानवता को शर्मसार करते हुए लाभुक की मौत के बाद आदिम जनजाति परिवार के निर्माणाधीन आवास की ईंट भी उखाड़ कर ले गए. इस घटना के बाद आदिम जनजाति का पूरा परिवार बिखर गया.

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घर की ईंट उखाड़ ले गए बिचौलिए
दरअसल, बिचलीदाग गांव में रहने वाले सात आदिम जनजातियों को वित्तीय वर्ष 2018-19 में बिरसा आवास योजना के तहत आवास की स्वीकृति दी गई थी. सभी लाभुकों का आवास का निर्माण गांव का ही एक बिचौलिया करवा रहा था. पर 3 साल गुजर जाने के बाद भी किसी भी लाभुक का आवास पूरा नहीं हो सका. गांव के तेजू परहिया और अखिलेश परहिया दोनों सगे भाइयों का आवास भी वही बिचौलिया बनवा रहा था. इसी बीच अचानक तालाब में डूबने से तेजू और अखिलेश की मौत हो गई. इसके बाद इनके परिवार पर आफत आ गया. बिचौलिया ने इनके आवास का पैसा निकाल लिया. वहीं लाभुकों की मौत के बाद आवास को पूर्ण करने के बदले दीवार में लगाए गए ईंट को भी उखाड़ कर ले गया.

घर का उखाड़ा गया ईंट

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आवास के अभाव में मृतकों का परिवार गांव छोड़ने को हुआ मजबूर
बिचौलिया जब लाभुकों के आवास का ईंट भी उखाड़कर ले गया तो मृतक तेजू और अखिलेश की पत्नी अपने बच्चों के साथ गांव से पलायन करने को मजबूर हो गई. मृतक लाभुक की मां जितनी परहिन गांव में रहती है. जितनी अपने परिवार के बिखर जाने के गम में रोते हुए बताया कि उनके दोनों बेटे की मौत के बाद गांव का ही संजय आया और निर्माणाधीन घर की दीवार के सारे ईंट उखाड़कर ले गया. इसके बाद मजबूरी में उनकी बहुओं को भी गांव छोड़कर जाना पड़ा. वहीं, गांव के ग्रामीण महेंद्र परहिया ने बताया कि जितनी के दोनों जवान बेटों की मौत होने के बाद बिचौलिया इनके घर की ईंट भी उखाड़ ले गए.

अधूरे हैं आवास

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अन्य ग्रामीणों के घर भी हैं अधूरे
गांव में कुल 7 लोगों के नाम से बिरसा आवास की स्वीकृति मिली थी. तेजू और अखिलेश के आवास का नामोनिशान नहीं है. वहीं, चमन परहिया के आवास के ऊपर छत भी नहीं लगा है. अन्य लाभुकों का आवास भी अधूरा ही है. पर कागज में सभी को पूरा दिखा दिया गया है. आवास के सामने बिजली का मीटर भी लगाकर आवास को पूर्णरूपेण सुविधा संपन्न बता दिया गया है.

अधूरे आवास पर लगाया गया मीटर

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जांच कर होगी कार्रवाई
इधर, इस संबंध में जब समेकित आदिवासी विकास अभिकरण के निदेशक बिंदेश्वरी ततमा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह मामला काफी गंभीर है. इसकी जांच करवा रहे हैं, इसके बाद दोषियों पर निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी.

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