पलामू/लातेहार: बूढ़ापहाड़ से निकलकर भागे मामा और भगीना पुलिस के कब्जे में आ गए हैं. मामा और भगिना माओवादियों के टॉप कमांडर हैं. दोनों की निशानदेही पर पुलिस ने कई आधुनिक हथियार को बरामद किए हैं. पुलिस दोनों से पूछताछ कर रही है और कई इलाकों में सर्च अभियान भी चला रही है.
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दरअसल, बूढ़ापहाड़ पर सितंबर 2022 में माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑक्टोपस शुरू किया गया था. ऑक्टोपस शुरू होने के बाद कई टॉप माओवादी इलाके से निकाल कर भाग गए थे. बूढ़ापहाड़ से निकलकर भागने वाले में माओवादियों के जोनल कमांडर संजीवन और कुंदन भी थे. दोनों लातेहार के मटलौंग के रहने वाले हैं. मिली जानकारी के अनुसार दोनों को लातेहार के इलाके में तैनात पुलिस और सुरक्षाबलों ने अपने कब्जे में लिया है. फिलहाल दोनों के कब्जे में आने के बाद पुलिस अधिकारी अभी कुछ नहीं बता रहे हैं. पुलिस के लिए यह बड़ी सफलता है. बूढ़ापहाड़ पर एक साथ निकल कर भागने वालों में 25 लाख के इनामी नवीन यादव, 10 लाख के इनामी संतु भुइयां, 10 लाख के इनामी संजीवन, पांच लाख के इनामी कुंदन के नाम शामिल हैं.
माओवादी पलामू, चतरा और लातेहार सीमा पर खड़ा करना चाहते थे दस्ता: दरअसल, बूढ़ापहाड़ पर ऑपरेशन ऑक्टोपस शुरू होने के बाद 25 लाख के इनामी टॉप कमांडर नवीन यादव के साथ कई टॉप माओवादी इलाके से निकल कर भाग गए थे. नवीन यादव के साथी संजीवन और कुंदन भी भागे थे. करीब डेढ़ महीना पहले नवीन यादव ने सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था.
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार संजीवन और कुंदन नवीन के आत्मसमर्पण करने के बाद पलामू चतरा और लातेहार सीमा पर मांओवादियों के लिए दस्ता तैयार करने के फिराक में थे. इस इलाके से सुरक्षाबलों की एक टीम को बूढ़ापहाड़ के इलाके में तैनात किया गया है. इसी का फायदा संजीवन और कुंदन उठाना चाहते थे. संजीवन और कुंदन ने पुलिस और सुरक्षाबलों को कई अहम जानकारियां भी दीं हैं. दोनों ने बताया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में दस्ता तैयार कर लेवी वसूलने की योजना थी. बूढ़ापहाड़ के इलाके में संजीवन की गतिविधि के कारण माओवादियों ने उसके रैंक को नीचे किया था.