लातेहार: चतरा जिले में मुठभेड़ के दौरान पांच माओवादियों के मारे जाने के विरोध में भाकपा माओवादियों ने 20 और 21 अप्रैल को दो दिवसीय झारखंड बंदी की घोषणा की है. माओवादियों ने विज्ञप्ति जारी कर आवश्यक सेवाओं को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के वाहनों के परिचालन पर पूरी तरह रोक लगाने की घोषणा की थी. वहीं व्यवसायिक गतिविधियों को भी बंद रखने की बात कही थी. परंतु माओवादियों के बंदी का पहला दिन तो पूरी तरह से बेअसर रहा. सभी प्रकार के वाहन सामान्य दिनों की तरह चलते रहे. रेलवे का परिचालन भी पूरी तरह सामान्य रहा. सभी स्कूल कॉलेज के अलावे व्यवसायिक प्रतिष्ठान भी खुले रहे. कुल मिलाकर कहा जाए तो जनजीवन पूरी तरह से सामान्य रहा.
माओवादियों का झारखंड बंद लातेहार में बेअसर, जनजीवन रहा सामान्य
भाकपा माओवादियों के द्वारा 20 और 21 अप्रैल को झारखंड बंदी लातेहार में पूरी तरह बेअसर रहा. बंदी की घोषणा के बावजूद जिले में जनजीवन पूरी तरह सामान्य रहा. जिले के महुआडांड़ और गारू प्रखंड में भी बंदी का कोई असर नहीं देखा गया.
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अप्रैल में की गई दो बार बंदी की घोषणा:अप्रैल माह में भाकपा माओवादियों के द्वारा दो बार दो-दो दिनों के लिए बंद की घोषणा की गई. इससे पूर्व 14 और 15 अप्रैल को भी माओवादियों ने झारखंड के कई जिलों को बंद रखने की घोषणा की थी. उस समय भी बंदी का असर ज्यादा देखने को नहीं मिला था. पहले दिन यात्री वाहनों के परिचालन पर कुछ प्रखंडों में असर देखा गया था परंतु दूसरे दिन स्थिति सामान्य हो गई थी. परंतु इस बार की बंदी का असर बिल्कुल नहीं है. स्थानीय लोगों की माने तो एक तो उन्हें माओवादियों की बंदी की जानकारी भी नहीं थी और दूसरी बात यह है कि रोज-रोज यदि व्यापार बंद रहेगा तो लोगों का रोजी रोजगार कैसे चलेगा? वही लोगों ने यह भी कहा कि बंदी की घोषणा करने वाले तो अपनी ताकत दिखाने के लिए बंदी की घोषणा कर देते हैं. परंतु इसका गरीब तबका पर कितना बुरा असर होता है, यह तो सिर्फ गरीब व्यक्ति का परिवार ही जानता है. इसी कारण अब बंदी का ज्यादा असर दिखता नहीं है.
पुलिस रही मुस्तैद:बंदी का असर तो आम जनजीवन पर बिल्कुल नहीं पड़ा, परंतु पुलिस माओवादी बंदी को लेकर पूरी तरह अलर्ट दिखी. लातेहार एसपी अंजनी अंजन के द्वारा हाइवे के अलावे ग्रामीण सड़कों पर भी पुलिस पेट्रोलिंग की व्यापक व्यवस्था की गई थी. सभी थाना क्षेत्रों के पुलिस अधिकारियों को भी अलर्ट रखा गया था. पुलिस के द्वारा की गई व्यापक सुरक्षा व्यवस्था के कारण लोगों के मन में किसी प्रकार का भय भी नहीं था. माओवादी बंदी लातेहार में अब बेअसर होने लगा है. यह एक सुखद बात है.