लातेहारः कहा जाता है कि अगर मन में संकल्प हो तो कम संसाधनों में भी लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है. जिला उपायुक्त अबू इमरान लातेहार में इस बात को चरितार्थ कर दिया है. उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प के बल पर बेकाबू हो रहे कुष्ठ बीमारी पर लगाम लगा दिया है.
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कोरोना काल में कई ऐसी बीमारियां थीं, जो लोगों के लिए खतरे की घंटी थी और लगातार अपने पांव पसार रही थी. इन्हीं बीमारियों में से एक कुष्ठ रोग भी है. लातेहार जिला में कुष्ठ रोग की वृद्धि दर सामान्य दर से दुगनी हो गई. इससे लोगों में इसका खतरा भी ज्यादा हो गया, क्योंकि लातेहार जिला में स्वास्थ्य सुविधा बहुत अच्छी नहीं है.
जिला के अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है, इसके अलावा ग्रामीण इलाकों के लोगों में जागरुकता का अभाव के कारण यहां रोगों का प्रसार भी काफी तेजी से होता है. कुष्ठ रोग के मामले में भी ऐसा ही कुछ हुआ, जागरुकता के अभाव में लोग कुष्ठ रोग का इलाज कराने में लापरवाही करने लगे, जिससे कुष्ठ रोग का प्रसार जिला में बढ़ने लगा. जिला में 6 महीने पहले तक ऐसी स्थिति आ गई थी कि लातेहार में कुष्ठ रोगियों की प्रतिशत सामान्य से दोगना हो गया था.
डीसी ने मामले में दिखाई गंभीरता
लातेहार में पदस्थापना के बाद उपायुक्त अबु इमरान जब स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा कर रहे थे तो उन्होंने पाया कि लातेहार जिला में कुष्ठ रोग खतरे के निशान से ऊपर उठने लगा है. डीसी ने इसे गंभीरता से लिया और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को तत्काल इसके रोकथाम को लेकर एक्शन बनाने का निर्देश दिया. डीसी ने स्वास्थ विभाग के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों को भी कुष्ठ उन्मूलन के प्रति जागरूकता कार्यक्रम में लगा दिया.
डीसी के आदेश के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम कुष्ठ उन्मूलन को लेकर रेस हुई. मेडिकल टीम ने रोगियों की पहचान करते हुए उनके इलाज की प्रक्रिया भी आरंभ की. लगभग 6 महीने की कठिन परिश्रम के बाद लातेहार जिला में कुष्ठ रोगियों की संख्या में एक फीसदी की कमी आ गई.
रोगियों में भी आई जागरुकता
कुष्ठ रोग से पीड़ित रोगियों में भी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के प्रयास के बाद जागरुकता आई. कुष्ठ रोगी गणेश प्रसाद और छठी प्रजापति ने बताया कि वो लोग कुष्ठ रोग से गंभीर रूप से पीड़ित हो गए थे. जिस कारण में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था, पर अब वह इलाज के बाद खुद को काफी स्वस्थ महसूस कर रहे हैं. प्रशासन और मेडिकल की टीम के सहयोग की उन्होंने सराहना भी की.
क्या होता है कुष्ठ रोग
जिला कुष्ठ उन्मूलन पदाधिकारी डॉक्टर शोभा टोपनो ने बताया कि कुष्ठ एक प्रकार का चर्म रोग है, जो लोगों के शरीर को बुरी तरह नुकसान पहुंचाता है. उन्होंने कहा कि यह दो प्रकार के होते हैं, जिन लोगों के शरीर पर 5 से कम दाग हैं, उसे नॉर्मल कुष्ठ रोगी कहा जाता है. लेकिन जिन लोगों के शरीर पर 5 से अधिक दाग हैं, उसे गंभीर रूप से पीड़ित समझा जाता है.
उन्होंने बताया कि कई बार जब रोग गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है तो शरीर के अंग गलने भी लगते हैं. उन्होंने कहा कि इस रोग का इलाज आसानी से संभव है. सरकारी अस्पतालों में इसके लिए मुफ्त दवा भी दी जाती है. अगर कोई कुष्ठ रोगी लापरवाही करता है तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं.
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रंग लाया डीसी का प्रयास
लातेहार उपायुक्त अबू इमरान का प्रयास जिला में कुष्ठ उन्मूलन की दिशा में काफी सराहनीय रहा. डीसी ने बताया कि अपनी पदस्थापना के बाद जब बैठक में उन्हें पता चला कि जिला में कुष्ठ रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, उन्होंने इसके उन्मूलन को लेकर रणनीति तैयार की. डीसी ने बताया कि इसके लिए गांव-गांव में सर्वे कराया गया और कुष्ठ रोगियों को चिन्हित कर उनका इलाज आरंभ किया गया.
डीसी ने कहा कि उनका प्रयास है कि जिला में कोई भी व्यक्ति कुष्ठ रोग से पीड़ित ना रहे, सभी का उचित इलाज हो और वह सामान्य जीवन जी सकें. कुष्ठ उन्मूलन की दिशा में लातेहार जिला में किए गए कार्य की सराहना राज्य के वरीय अधिकारी और राजनेता भी करते हैं.