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कोलियरी प्रबंधन की मनमानी से ग्रामीणों की बढ़ी परेशानी, बिना मुआवजा दिए ही जमीन पर किया जा रहा कब्जा - etv news

लातेहार जिले में तुबेद कोयला खान शुरू होने के बाद भी ग्रामीणों को मुआवजा नहीं दिया गया है. कंपनी उनके जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर रही है. इससे ग्रामीणों में कंपनी के लिए आक्रोश है. इसके साथ ही ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें धमकी भी दी जा रही है.

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Published : May 28, 2023, 11:01 PM IST

देखें स्पेशल रिपोर्ट

लातेहार: जिले के सदर प्रखंड में आरंभ हुआ तुबेद कोयला खान यहां के स्थानीय निवासियों के लिए सिरदर्द बन गया है. कोयला खान प्रबंधन की मनमानी के कारण स्थानीय रैयत परेशान हैं. भूमि मालिकों का कहना है कि कोयला प्रबंधन के द्वारा बिना जमीन का मुआवजा दिए ही उनकी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया जा रहा है. विरोध करने पर उन्हें गांव के ही कुछ लोगों के द्वारा धमकी भी दी जा रही है. इस स्थिति में ग्रामीणों की नींद उड़ गई है.

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दरअसल, लातेहार तुबेद कोयला खान दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) को आवंटित की गई है. लगभग 1250 एकड़ भूमि में कोयला खनन का लक्ष्य रखा गया है. इसमें 572 एकड़ स्थानीय लोगों की रैयती जमीन शामिल है. कंपनी के द्वारा भूमि मालिकों के जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया भी चल रही है. लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि कोलियरी प्रबंधन के द्वारा मनमानी करते हुए बिना मुआवजा दिए ही उनकी जमीन पर जबरदस्ती कब्जा जमाया जा रहा है. ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि कोयला खनन इलाके के आसपास जिन लोगों का घर है, उन लोगों को अब तक घर का मुआवजा नहीं दिया गया. लेकिन कोयला खनन के लिए खान में लगातार विस्फोट कराया जाने लगा है. इस स्थिति में विस्फोट के कारण कई लोगों के घरों में दरार भी आने लगे हैं.

विरोध का भी नहीं हो रहा है असर:स्थानीय ग्रामीण मोहम्मद मुफ्ती साहब ने बताया कि अब तक किसी भी गांव ग्रामीण को उनके घर का मुआवजा नहीं दिया गया है. लेकिन, कंपनी के द्वारा लगातार विस्फोट कराया जा रहा है. जिससे घरों में दरार आ रहे हैं और घर रहने लायक भी नहीं बच रहा है. विरोध करने पर कहा जाता है कि जहां जाना है जाओ, कुछ नहीं होगा. वहीं आदिवासी महिला कलावती देवी कहती है कि जब विस्फोट होता है तो घर का छत हिलने लगता है.

वहीं आदिवासी ग्रामीण महिला रतिया देवी ने कहा कि कोयला खान के थोड़ी दूर पर ही उनका गांव है. विस्फोट करने के कारण घरों में दरार आने लगे हैं. कई बार ग्रामीणों के द्वारा प्रबंधन के सामने विरोध भी जताया गया और कहा गया कि इससे अच्छा है कि सभी ग्रामीणों को मारकर खान में ही डाल दें. रतिया देवी ने कहा कि कोलियरी के लिए अब तक जिन लोगों की जमीन गई है, उन लोगों को भी पूरा मुआवजा नहीं मिल पाया. इस स्थिति में कंपनी पर अब ग्रामीणों को बिल्कुल विश्वास नहीं है. इसीलिए ग्रामीणों ने निर्णय लिया है कि किसी भी सूरत में जमीन नहीं देंगे.

वहीं ग्रामीण कामदेव सिंह कहते हैं कि कंपनी के द्वारा उनकी जमीन पर कब्जा तो कर लिया गया है, लेकिन आज तक मुआवजा नहीं दिया गया. सड़क निर्माण के लिए भी उनकी जमीन पर कब्जा जमा लिया गया. खेत में लगे फसल को भी नष्ट कर दिया गया, पर मुआवजा नहीं मिला. विरोध करने पर गांव के ही कुछ लोग मारपीट करने पर भी उतारू हो जाते हैं. कंपनी वाले दबाव बनाकर जबरदस्ती ग्रामीणों के जमीन पर कब्जा जमाना चाह रहे हैं.

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प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ भी ग्रामीणों में आक्रोश:इधर, स्थानीय ग्रामीणों में जिला प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ भी जबरदस्त आक्रोश है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन के एक भी अधिकारी कभी भी गांव में आकर ग्रामीणों की समस्या से रूबरू नहीं हो रहे हैं. प्रशासनिक अधिकारियों के व्यवहार से ऐसा लग रहा है कि अधिकारियों ने कंपनी को खुली छूट दे दी है.

'सभी को मिलेगा मुआवजा, कागजों में है कमी': इस संबंध में तुबेद कोयला खान के कार्यकारी निदेशक (खनन) जगेश कुमार मंडीए ने कहा कि सभी भूमि मालिकों को कंपनी के द्वारा मुआवजा दिया जाएगा. लेकिन, कई भू मालिकों की जमीन के कागजात अपडेट नहीं रहने के कारण मुआवजा देने में परेशानी हो रही है. भूमि मालिकों से अपील किया गया है कि अंचल कार्यालय से जमीन को अपडेट करा ले और कागजात डीवीसी के कार्यालय में जमा करें. उन्होंने कहा कि अब तक लगभग 136 एकड़ जमीन का मुआवजा दिया जा चुका है.

गांव में कोलियरी खुलने के बाद ग्रामीणों के आंखों में सुनहरे भविष्य के सपने होने चाहिए, लेकिन तुबेद कोलियरी के इलाके में रहने वाले ग्रामीणों की आंखों में घोर निराशा दिख रहा है. जरूरत इस बात की है कि कोलियरी प्रबंधन सरकारी प्रावधान के तहत सभी प्रकार की सुविधाएं ग्रामीणों को उपलब्ध कराए ताकि ग्रामीणों का सपोर्ट भी प्रबंधन को मिल सके.

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