लातेहार: जिले के सदर प्रखंड में आरंभ हुआ तुबेद कोयला खान यहां के स्थानीय निवासियों के लिए सिरदर्द बन गया है. कोयला खान प्रबंधन की मनमानी के कारण स्थानीय रैयत परेशान हैं. भूमि मालिकों का कहना है कि कोयला प्रबंधन के द्वारा बिना जमीन का मुआवजा दिए ही उनकी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया जा रहा है. विरोध करने पर उन्हें गांव के ही कुछ लोगों के द्वारा धमकी भी दी जा रही है. इस स्थिति में ग्रामीणों की नींद उड़ गई है.
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दरअसल, लातेहार तुबेद कोयला खान दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) को आवंटित की गई है. लगभग 1250 एकड़ भूमि में कोयला खनन का लक्ष्य रखा गया है. इसमें 572 एकड़ स्थानीय लोगों की रैयती जमीन शामिल है. कंपनी के द्वारा भूमि मालिकों के जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया भी चल रही है. लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि कोलियरी प्रबंधन के द्वारा मनमानी करते हुए बिना मुआवजा दिए ही उनकी जमीन पर जबरदस्ती कब्जा जमाया जा रहा है. ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि कोयला खनन इलाके के आसपास जिन लोगों का घर है, उन लोगों को अब तक घर का मुआवजा नहीं दिया गया. लेकिन कोयला खनन के लिए खान में लगातार विस्फोट कराया जाने लगा है. इस स्थिति में विस्फोट के कारण कई लोगों के घरों में दरार भी आने लगे हैं.
विरोध का भी नहीं हो रहा है असर:स्थानीय ग्रामीण मोहम्मद मुफ्ती साहब ने बताया कि अब तक किसी भी गांव ग्रामीण को उनके घर का मुआवजा नहीं दिया गया है. लेकिन, कंपनी के द्वारा लगातार विस्फोट कराया जा रहा है. जिससे घरों में दरार आ रहे हैं और घर रहने लायक भी नहीं बच रहा है. विरोध करने पर कहा जाता है कि जहां जाना है जाओ, कुछ नहीं होगा. वहीं आदिवासी महिला कलावती देवी कहती है कि जब विस्फोट होता है तो घर का छत हिलने लगता है.
वहीं आदिवासी ग्रामीण महिला रतिया देवी ने कहा कि कोयला खान के थोड़ी दूर पर ही उनका गांव है. विस्फोट करने के कारण घरों में दरार आने लगे हैं. कई बार ग्रामीणों के द्वारा प्रबंधन के सामने विरोध भी जताया गया और कहा गया कि इससे अच्छा है कि सभी ग्रामीणों को मारकर खान में ही डाल दें. रतिया देवी ने कहा कि कोलियरी के लिए अब तक जिन लोगों की जमीन गई है, उन लोगों को भी पूरा मुआवजा नहीं मिल पाया. इस स्थिति में कंपनी पर अब ग्रामीणों को बिल्कुल विश्वास नहीं है. इसीलिए ग्रामीणों ने निर्णय लिया है कि किसी भी सूरत में जमीन नहीं देंगे.