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Latehar Drinking Water Problem: यहां चुआंड़ी के गंदे पानी से बनता है मिड डे मील, स्कूल में ऐसे बढ़ेंगे नौनिहाल! - स्कूल में पेयजल की सुविधा

लातेहार में महुआडांड़ प्रखंड के चिकनी कोना गांव में स्कूल में पेयजल की व्यवस्था नहीं है. आलम ऐसा है कि यहां चुआंड़ी या चुआं के गंदे पानी से मिड डे मील बनाया जाता है.

drinking water problem in school of Chikni Kona village at Mahuadanr block in Latehar
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Published : Apr 24, 2023, 2:10 PM IST

Updated : Apr 24, 2023, 2:19 PM IST

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लातेहारः सरकार एक तरफ तो हर किसी को शुद्ध और स्वच्छ पेयजल पहुंचाने के दावे कर रही है. लेकिन सरकार का यह दावा लातेहार जिले के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सरकारी स्कूलों में पहुंचने से पहले ही दम तोड़ रही है. जिले के महुआडांड़ प्रखंड के चिकनी कोना गांव में स्थित स्कूल सरकार के दावे को आईना दिखा रहा है. इस स्कूल के बच्चे आज भी चुआंड़ी के पानी पर निर्भर हैं.

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महुआडांड़ प्रखंड के चिकनी कोना में स्थित विद्यालय में पेयजल की व्यवस्था नहीं हो सकी है. स्कूल को स्थापित हुए 20 साल से अधिक समय गुजर गए, इसके बावजूद यहां बच्चों को पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं हो पाई. ऐसे में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे स्कूल से थोड़ी दूर पर स्थित एक चुआंड़ी पर निर्भर हैं. लेकिन जब गर्मी अधिक पड़ने लगती है तो मई और जून के महीने में तो यह चुआंड़ी भी पूरी तरह सूख जाता है. इसके बाद तो यहां के बच्चे पानी के लिए स्कूल से 2 किलोमीटर दूर दूसरे गांव में जाते हैं.

चुआंड़ी के गंदे पानी से मिड डे मीलः स्कूल में मध्याह्न भोजन भी इसी चुआंड़ी के पानी से बनता है. इसके अलावा खाना खाने के बाद बच्चे यहीं आकर अपने बर्तन भी धोते हैं और यहां का पानी भी पीते हैं. यहां का पानी काफी दूषित हो जाने के बावजूद मजबूरी में मिड डे मील बनाने से लेकर अन्य कार्यों के लिए भी इसी पानी का उपयोग करना पड़ता है. स्कूल की रसोईया कहती हैं कि पानी का कोई दूसरा साधन नहीं है, इस कारण यही के पानी से भोजन बनाना पड़ता है.

शिक्षक का दावा बच्चे लाते हैं घर से पानीः हालांकि स्कूल के प्रधानाध्यापक नरेश यादव ने कहा कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे अपने घरों से बोतल में पीने का पानी लाते हैं. लेकिन अन्य सभी प्रकार के कार्य इसी चुआंड़ी के जल से किया जाता है. उन्होंने कहा कि कई बार स्कूल में पेयजल की सुविधा बहाल कराने की मांग को लेकर उन्होंने वरीय अधिकारियों से पत्राचार किया है, पर अब तक स्कूल में पेयजल की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है. उन्होंने कहा कि अगर स्कूल में चापाकल या जल मीनार स्थापित हो जाए तो यहां के बच्चों के साथ साथ अन्य लोगों को भी काफी सुविधा होगी.

स्कूलों में पेयजल उपलब्ध कराने के मामले में कागजी आंकड़े कुछ और ही कहते हैं. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार लातेहार जिले के 98 फीसदी से अधिक स्कूलों में नल जल योजना के तहत नल का पानी पहुंचा दिया गया है. लेकिन धरातल पर यह रिकॉर्ड कई सवाल उठाते हैं. जरूरत इस बात की है कि अधिकारी कागजी आंकड़ों से अपनी पीठ थपथपाने के बदले धरातल पर काम करने पर ध्यान देना चाहिए, जिससे आम लोगों को फायदा मिल सके.

Last Updated : Apr 24, 2023, 2:19 PM IST

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