लातेहारः हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के सरकारी दावे भले ही कागजों की शोभा बढ़ा रही हो, पर धरातल पर सच्चाई कुछ और ही है. इसका एक उदाहरण लातेहार जिला मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खैराट टोला में देखा जा सकता है. इस टोला में आजादी के 75 वर्ष बाद भी पानी नहीं पहुंच पाया है. यहां के ग्रामीण आज भी बूंद बूंद पानी के लिए तरसते हैं.
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जिला मुख्यालय से सटे खैराट टोला में दलित परिवार के लोग निवास करते हैं, लगभग 100 की जनसंख्या वाले इस टोला में रहने वाले अधिकांश लोग अत्यंत गरीब हैं. गांव की बदहाली का आलम यह है कि आज तक खैराट गांव में पानी नहीं पहुंच पाया. यहां के ग्रामीण पेयजल के लिए पास में बह रही औरंगा नदी पर निर्भर हैं. सरकारी स्तर पर इस गांव में ना तो चापाकल लगाया गया और ना ही पेयजल की कोई दूसरी वैकल्पिक व्यवस्था की गई.
गरीबी के कारण इनके पास इतनी संपत्ति नहीं है कि घर में निजी चापाकल लगा सकें. मजबूरी में गांव वाले आज तक नदी के पानी पर पूरी तरह निर्भर हैं. ग्रामीण लक्ष्मण भुइयां और ग्रामीण महिला रीता देवी बताती हैं कि गांव में पानी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण उन लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. सुबह उठते ही पानी की जद्दोजहद शुरू हो जाती है. गांव से लगभग आधा किलोमीटर दूर पर बहने वाली नदी से ग्रामीण पानी लाते हैं और अपना काम चलाते हैं.
बरसात में होती है ज्यादा परेशानीः ग्रामीणों की मानें तो सबसे अधिक परेशानी तो उन लोगों को बरसात के दिनों में हो जाती है. बरसात के दिन में जब नदी में बाढ़ आ जाती है तो नदी का पानी भी गंदा हो जाता है. इस दौरान लोगों को पानी के लिए गांव से दो से 3 किलोमीटर दूर दूसरे गांव में जाना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि अब तक दर्जनों बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से टोला में पानी उपलब्ध कराने की मांग की गई है, पर आज तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो सका.
मुखिया ने की पहल, जल्द मिलेगा समस्याओं से छुटकाराः इस संबंध में पांडेयपुरा पंचायत के मुखिया संजय उरांव ने बताया कि गांव में पेयजल संकट के संबंध में उन्हें जैसे ही जानकारी प्राप्त हुई, वैसे ही उन्होंने इस पर गंभीरता पूर्वक कार्य आरंभ किया है. उन्होंने बताया कि इस टोला के लिए नल जल योजना के तहत दो टंकी की स्वीकृति मिल गई है, जल्द ही यहां बोरिंग भी कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि गांव में तत्काल एक कुआं की भी स्वीकृति प्रदान प्रशासनिक स्तर पर की गई है. इससे ग्रामीणों को पानी के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा.
सरकार के द्वारा हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाने के अपने वादे को प्राथमिकता के आधार पर गांव में पहुंचाने की बात कही जाती है. जरूरत इस बात की है कि सरकार के वादे कागजों के बदले धरातल पर उतरे ताकि जरूरतमंदों को इसका लाभ मिल सके.