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कभी चोरी के लिए बदनाम था यह गांव, अब ग्रामीणों ने बदल दी गांव की पहचान - Jagaldaga village of Latehar prospered for agriculture

झारखंड की राजधानी रांची से करीब 130 किलोमीटर दूर स्थित घोर नक्सल प्रभावित लातेहार का जगलदगा गांव लोगों के लिए मिसाल पेश कर रहा है. कभी, चोरी और छिनतई के लिए जाना जाने वाले इस गांव की, ग्रामीणों और किसानों की मेहनत ने पहचान ही बदल दी है. आधुनिक कृषि की बदौलत जगलदगा गांव की सुखी-संपन्नता जिले के लिए उदाहरण बन चुका है.

Jagaldaga village of Latehar prospered for agriculture
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Published : Mar 1, 2020, 11:38 PM IST

लातेहार: जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जगलदगा गांव इन दिनों अच्छी खेती के लिए पूरे लातेहार और आसपास के इलाका में अपनी वाहवाही लूट रहा है. लातेहार का यह गांव कभी चोरी और छिनतई के लिए जाना जाता था. यह बदलाव इस गांव के किसानों की मेहनत का नतीजा है.

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मनुष्य ठान ले तो कुछ भी संभव

एक कहावत है...मनुष्य यदि ठान ले, तो पत्थर से भी पानी निकाल सकता है. लातेहार के जगलदगा के ग्रामीणों ने इस बात को पूरी तरह से चरितार्थ कर दिखाया है. सूरज ढलते ही चोरों के आंतक से कोई भी राहगीर पहले जगलदगा गांव के पास से गुजरना नहीं चाहता था. कभी चोरी और अपराध के लिए बदनाम यह गांव आज खेती के लिए पूरे जिले में प्रसिद्ध हो चुका है. किसानों और मेहनती ग्रामीणों की बदौलत आज के समय में यह गांव खुद पर निर्भर है.

दरअसल, जगलदगा गांव लातेहार जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर लातेहार-रांची मुख्य पथ पर स्थित है. 10 साल पहले तक गांव की पहचान चोरी, सड़क लूट और आपराधिक घटनाओं को लेकर थी. रांची से डालटनगंज की ओर जाने वाले लोग जगलदगा से गुजरने के दौरान सहम जाते थे. हमेशा यहां लूटमार होती रहती थी. हाल ये हो चुका था कि गांव के अधिकांश ग्रामीण रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे थे. जिसका सीधा लाभ सड़क लुटेरे और अपराधी उठाते थे. साथ ही जगलदगा गांव को अपना चारागाह बना लिया था.

ग्रामीणों ने पहचान बदलने के लिया था संकल्प

ग्रामीणों ने अपनी और गांव की पहचान बदलने का कुछ साल पहले संकल्प लिया था. गांव की बदनामी से यहां के युवकों को काफी ग्लानि महसूस होती थी. ऐसे में यहां के युवा और अन्य ग्रामीणों ने संकल्प लिया कि वे लोग अपने गांव की पहचान बदल कर रहेंगे. इसके बाद सभी ग्रामीण खेती में जुट गए. अपने बंजर और पथरीली जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया. गांव के कुछ ग्रामीणों ने कृषि विभाग जाकर खेती में मदद करने की गुहार लगाई. जिस पर कृषि विभाग के पदाधिकारी गांव पहुंचे और सर्वे किया. जिसमें पाया कि इस गांव में बेहतर खेती हो सकती है. विभाग ने ग्रामीणों को उन्नत खेती का प्रशिक्षण दिया गया. कुछ विशेष फसल की खेती में विभाग की ओर से मदद भी मिली. जिसके बाद गांव में बदलाव की कहानी शुरू हो हुई.

गांव में बढ़ी सुखी-संपन्नता

ग्रामीणों में बदलाव के संकल्प के 2 साल के अंदर ही जगलदगा गांव में परिवर्तन दिखने लगा. बदलाव के कदम उठाने के कुछ ही समय बाद जगलदगा कृषि हब के रूप में विकसित हो गया. गांव के खेत जो कभी बंजर पड़े रहते थे, उनमें भी फसल लहलहाने लगे. गांव के ग्रामीणों में आगे बढ़ने और कुछ करने की उम्मीद जगी और खेती के साथ-साथ पशुपालन में भी जुड़ गए. वर्तमान में स्थिति यह हो गई है कि जिस गांव के नाम से लोग डरते थे, उसी गांव में अब खेती को देखने के लिए अक्सर लोग पहुंच रहे हैं और गांव के मेहनती किसानों से प्रेरणा ले रहे हैं.

जनप्रतिनिधि और अधिकारी देते हैं दूसरों को उदाहरण

ग्रामीण जुगल सिंह, सीखन सिंह, विष्णु देव सिंह नामक किसानों ने बताया कि पहले जगलदगा गांव में बेरोजगारी और अपराध का माहौल व्याप्त था, लेकिन अब माहौल बिल्कुल बदल चुका है. सभी लोग खेती से जुड़ गए हैं, गांव से पलायन कम हो चुका है. गांव में सुखी-संपन्नता आई है. इसको लेकर लातेहार जिला परिषद सदस्य विनोद उरांव ने कहा कि इस गांव के ग्रामीणों ने समाज के सामने एक मिसाल पेश की है. गांव के ग्रामीणों को सरकार की ओर से थोड़ी और मदद मिले, तो जगलदगा के किसान कृषि के क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं. वहीं कृषि विभाग के उपनिदेशक सप्तमी कुमार झा ने इस संबंध में बताया कि गांव में पहले खेती नहीं होती थी, जिससे लोग परेशान रहते थे, लेकिन अब ग्रामीणों की मेहनत के बदौलत गांव की पहचान बदल गई है.

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बहरहाल, जगलदगा गांव के ग्रामीणों ने अपनी मेहनत के बल पर जिस प्रकार अपने गांव की पहचान बदली है, उसकी तारीफ पूरे जिले में हो रही है. अब जरूरत है कि सरकारी योजनाओं का लाभ सही समय पर लोगों तक पहुंचे, ताकि ग्रामीण समाज में किसानों की मेहनत और नेक इरादे बाकियों के लिए मिसाल पेश कर सके.

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