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आग की भीषण लपटों से धधर रहे लातेहार के जंगल, भारी मात्रा में वन संपदा का नुकसान - fierce fire in latehar forests

गर्मियों का दौर शुरू होते ही लातेहार के जंगलों में प्रतिवर्ष भीषण आग लग जाती है. वन विभाग इस पर ठोस कदम नहीं उठा रहा है.

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Published : Apr 16, 2020, 3:19 PM IST

Updated : Apr 16, 2020, 4:29 PM IST

लातेहारः जिले के कई जंगलों में इन दिनों भीषण आग लगी हुई है. इससे न सिर्फ जंगलों को नुकसान हो रहा है, बल्कि जंगली जानवरों को भी काफी क्षति पहुंच रही है. दरअसल महुआ का सीजन आते ही लातेहार के जंगलों में प्रत्येक वर्ष आग लगती है, जिससे पेड़ पौधों को भारी नुकसान होता है.

धधर रहे लातेहार के जंगल.

बताया जाता है कि महुआ का सीजन आने के बाद लोग महुआ चुनने के लिए पेड़ के आसपास आग लगाकर सफाई करते हैं, परंतु लापरवाही के कारण यह आग पूरे जंगल में फैल जाती है, जिससे जंगल को भारी नुकसान होता है.

महुआ बहुल है लातेहार के जंगल

लातेहार के जंगलों में काफी संख्या में महुआ के पेड़ पाए जाते हैं. ऐसे में पेड़ के आसपास की सफाई के लिए ग्रामीण पत्तों में आग तो लगाते हैं , परंतु उस आग को बुझाने का प्रयास नहीं करते. ऐसे में जंगलों में आग फैल जाती है और भारी नुकसान का कारण बन जाता है .

वन विभाग चलाता है जागरूकता अभियान

जंगल में आग न लगाने को लेकर वन विभाग द्वारा ग्रामीणों के बीच जागरूकता अभियान तो चलाया जाता है परंतु उसका असर नहीं के बराबर दिखता है. वहीं वन समिति के लोगों द्वारा भी इस पर कोई ठोस पहल नहीं किए जाने के कारण आग लगने की घटना कम नहीं होती है.

जंगलों में आग लगने से सबसे अधिक नुकसान छोटे-छोटे पौधों को होता है. पौधे जल जाने के कारण जंगल में लगातार पेड़ की कमी होती जा रही है. इसके अलावा धुआं उठने से पर्यावरण भी प्रदूषित होता है.

ग्रामीण नंदकिशोर यादव ने कहा कि महुआ चुनने वालों द्वारा ही जंगल में आग लगाई जाती है, जिससे जंगल को भारी नुकसान होता है. जंगलों में प्रत्येक वर्ष आग लगने से पेड़ पौधों के अलावा जंगली जानवरों को भी नुकसान होता है. जरूरत इस बात की है कि ग्रामीणों को जागरूक कर जंगल में आग लगाने से रोका जाए, ताकि जंगल सुरक्षित रह सकें.

Last Updated : Apr 16, 2020, 4:29 PM IST

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