लातेहारः पुराने जमाने में कहावत प्रचलित थी कि खेती आजीविका का सर्वोत्तम साधन है. इस पुरानी कहावत को वर्तमान समय में भी चरितार्थ करने वाले किसानों की कमी नहीं है. लातेहार जिले के बारियातू प्रखंड अंतर्गत गोनिया गांव निवासी किसान फूलचंद गंझू एक ऐसे ही किसान हैं, जिन्हें खेती ने बुलंदी तक पहुंचा दिया. खेती की कमाई से ही उन्होंने अपने बेटे की पढ़ाई करवाई. उनके बेटे ने इस वर्ष जेईई एडवांस क्वालीफाई करते हुए आईआईटी कॉलेज में दाखिला लिया.
नक्सलियों ने जला दिया था घर
फूलचंद गंझू एक साधारण किसान थे. उनके खेतों में भी पारंपरिक खेती ही होती थी. सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र में रहने के कारण वह नक्सलियों के निशाने पर भी होते थे. कई बार नक्सली उन्हें धमकी भी दिए, लेकिन वे किसी भी सूरत में नक्सलियों का सहयोग करने को तैयार नहीं थे. नक्सलियों ने वर्ष 2012 में उनके घर पर धावा बोल दिया था और पूरे घर को आग लगा दी. इस घटना के बाद फूलचंद पूरी तरह टूट गए थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फिर से अपना घर परिवार सवारने में जुट गए.
वैकल्पिक खेती पर दिया ध्यान
फूलचंद ने खेती को अपनी आजीविका का मुख्य साधन बना लिया. उन्होंने अपने खेतों में धान और मक्का के साथ-साथ टमाटर, आम, मटर, आलू समेत अन्य वैकल्पिक फसल लगाए. उधर नक्सली हमले के बाद घर की हालत खराब होने के बावजूद उन्होंने अपने बेटे को शिक्षा के लिए रांची भेज दिया. फूलचंद खेती में कड़ी मेहनत करने लगा. वहीं, उनका बेटा शिक्षा में जुट गया. कुछ वर्ष के परिश्रम के बाद फूलचंद की पहचान एक सफल किसान के रूप में होने लगी. फूलचंद ने बताया कि कठिन समय में जब वे निराश हो गए थे तो खेती ही उनके जीवन का आधार बनी. खेती के भरोसे ही उनका जीवन फिर से संवर गया. उन्होंने कहा कि खेती से उन्हें कम से कम 10 से 12 लाख रुपये प्रति वर्ष की कमाई हो जाती है.
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बेटे ने पाई सफलता