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कोरोना इफेक्टः बेतला नेशनल पार्क में पसरा सन्नाटा, पर्यटक न आने से कारोबार ठप

कोरोना महामारी से कोई वर्ग अछूता नहीं है. अभी भी अनेक गतिविधियां ठप पड़ी हैं. लातेहार के देश प्रसिद्ध बेतला नेशनल पार्क में कोरोना के चलते वीरानी छाई है.ऐसे में पर्यटकों के भरोसे रोजी रोटी चलाने वालों के सामने आर्थिक संकट गहराता जा रहा है.

बेतला नेशनल पार्क
बेतला नेशनल पार्क

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Published : Oct 7, 2020, 7:29 PM IST

लातेहारः कोविड-19 को लेकर देशभर में लगाया गया लॉकडाउन का असर धीरे-धीरे कम होता जा रहा है, परंतु लातेहार के देश प्रसिद्ध बेतला नेशनल पार्क में लॉकडाउन का असर अभी भी जारी है. पहले यह नेशनल पार्क अक्टूबर माह आरंभ होते ही पर्यटकों से गुलजार हो जाता था. ऐसे में आसपास के लोगों का रोजगार भी खूब चलता था, परंतु लॉकडाउन के कारण बेतला नेशनल पार्क सुनसान पड़ा है.

बेतला नेशनल पार्क में छाई वीरानी.

वहीं पर्यटकों के भरोसे रोजगार चलाने वाले लोग अब भुखमरी की कगार पर हैं. दरअसल लातेहार जिले का बेतला नेशनल पार्क पूरे भारत में प्रसिद्ध है. यहां दूर-दूर से पर्यटक आकर पार्क का लुत्फ उठाते थे. ऐसे में बड़े पैमाने पर पर्यटकों के आने से यहां के लोगों का व्यवसाय भी काफी अच्छा चलता था.

छोटे-मोटे होटल और दुकान चलाने वाले लोग भी पर्यटकों के आगमन के कारण अच्छी आमदनी कर लेते थे और अपने परिवार का भरण पोषण आसानी से कर पाते थे.

परंतु लॉकडाउन के कारण सरकारी आदेश से गत अप्रैल माह से ही बेतला नेशनल पार्क को पूरी तरह बंद कर दिया गया है. पर्यटकों के आगमन पर भी रोक लगा दी गई है. ऐसे में बड़े होटल तो प्रभावित हैं ही ,छोटे मोटे व्यवसाय करने वाले लोगों के समक्ष आजीविका की भारी समस्या उत्पन्न हो गई है.

दुकान खोलकर समय काटते हैं दुकानदार

बेतला पार्क के ठीक सामने छोटा से होटल चलाकर अपनी जीविका चलाने वाले फिरोज अंसारी ने कहा कि पार्क बंद रहने के कारण उनकी आजीविका बुरी तरह प्रभावित हो गई है. पहले अच्छी कमाई हो जाती थी परंतु वर्तमान में तो पेट चलाना भी मुश्किल हो गया है.

वहीं गुमटीनुमा छोटी सी दुकान चलाने वाले खुर्शीद अंसारी ने कहा कि पहले जब पर्यटक आते थे तो काफी अच्छी आमदनी हो जाती थी, परंतु अभी तो सिर्फ दुकान खोलकर समय काट रहे हैं.

लोकल गाइड को भी आजीविका की समस्या

बेतला नेशनल पार्क में गाइड के रूप में कार्यरत स्थानीय लोगों की आजीविका भी पूरी तरह खत्म हो गई है. स्थानीय गाइड रामप्रसाद भुइयां ने कहा कि वे लोग पार्क में पर्यटकों को घुमाने जाते थे.

इससे उन्हें प्रत्येक दिन तीन सौ से चार सौ रुपए तक आमदनी हो जाती थी, जिससे उनके परिवार का भरण पोषण हो जाता था, परंतु पार्क बंद रहने के कारण परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है. कहीं से कोई आमदनी नहीं हो रही है.

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पार्क बंद रहने के कारण स्थानीय लोग भी प्रभावित हैं. स्थानीय निवासी मकसूद अंसारी ने कहा कि जब पार्क खुला रहता था तो पूरा बेतला गुलजार रहता था, परंतु अभी पूरा इलाका सुनसान रहता है. ऐसे में जंगली जानवर भी जंगल से बाहर निकलकर लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

राजस्व की हुई भारी क्षति

इस संबंध में बेतला क्षेत्र के रेंजर प्रेम प्रकाश ने कहा कि पार्क बंद रहने के कारण राजस्व का भारी नुकसान जरूर हुआ है.

उन्होंने कहा कि 1 अप्रैल से पार्क को सरकारी आदेश के बाद बंद कर दिया गया था. जब तक सरकार द्वारा पार्क खोलने के लिए दिशा निर्देश नहीं मिल जाता तब तक पार्क बंद रखा जाएगा.

1 जुलाई से 30 सितंबर तक बंद रहता था पार्क

रेंजर ने बताया कि वर्षा ऋतु जानवरों के लिए प्रजनन का काल होता है. इस कारण प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई से लेकर 30 सितंबर तक बेतला नेशनल पार्क को बंद रखा जाता था, परंतु 1 अक्टूबर को पार्क पर्यटकों के लिए खोल दिया जाता था. परंतु इस वर्ष कोविड-19 के कारण पार्क बंद है.

लॉकडाउन के कारण पर्यटक स्थलों पर रहने वाले लोग काफी परेशान है. जरूरत इस बात की है कि सरकार इनकी समस्याओं को भी ध्यान में रखते हुए योजना बनाएं ताकि पर्यटन पर आश्रित लोगों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न न हो.

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