लातेहार: कहा जाता है शिक्षा ही समाज के विकास का पहला साधन है. सरकार भी शिक्षा के विकास को लेकर बड़े-बड़े दावे करते नहीं थकती है, लेकिन आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है. ऐसे ही गांव में शामिल है लातेहार सदर प्रखंड का आदर्श गांव कोने.
विभागीय लापरवाही के कारण व्यवस्था हुई चौपट
दरअसल, कोने गांव में लगभग 40 साल पहले प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की गई थी. झारखंड राज्य अलग होने के बाद कोने प्राथमिक विद्यालय को मध्य विद्यालय के रूप में तब्दिल कर दिया गया, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण इस विद्यालय में एक भी शिक्षक का पद स्वीकृत नहीं किया गया. इस विद्यालय में बच्चों की संख्या भी 200 से अधिक है. शिक्षक की स्थाई पदस्थापना नहीं होने के कारण समय-समय पर कुछ शिक्षकों का प्रतिनियुक्ति कर विद्यालय में शिक्षण कार्य संचालित करवाया जाता रहा. अस्थाई शिक्षक के अभाव में यहां की शिक्षा व्यवस्था लगातार बदहाल होती गई.
मध्य विद्यालय में नहीं मिले टीचर
मध्य विद्यालय कोने को 3 वर्ष पूर्व हाई स्कूल बना दिया गया. इसके बावजूद मध्य विद्यालय में एक भी शिक्षक का पद स्वीकृत नहीं किया गया. इस वर्ष हाई स्कूल के शिक्षकों की बहाली के बाद 9वीं और 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए 3 शिक्षकों की पदस्थापना हाई स्कूल में की गई है. मध्य विद्यालय में किसी शिक्षक की पदस्थापना नहीं की गई. जिससे मध्य विद्यालय के बच्चे शिक्षण से वंचित रह जा रहे हैं.