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कोडरमा में दुर्गा के कुंवारी स्वरूप की होती है पूजा, पहाड़ पर विराजमान है मां

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Published : Oct 4, 2022, 4:09 PM IST

कोडरमा में मां दुर्गा के कुंवारी स्वरूप की पूजा होती है. यह पूजा चंचालिनी धाम स्थित मां दुर्गा मंदिर (Maa Durga is worshipped in Chanchalini Dham) में होती है. यहां 400 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित मंदिर में रोजाना श्रद्धालु मन्नत लेकर श्रद्धालु पहुंचते हैं.

Maa Durga is worshipped in Koderma
कोडरमा में मां दुर्गा के कुंवारी स्वरूप की होती है पूजा

कोडरमा: नवरात्रि के नवमी के दिन मां दुर्गा के कन्या स्वरूप की पूजा होती है. लेकिन कोडरमा में मां दुर्गा के अलग ही स्वरूप है. यहां मां दुर्गा 400 फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजमान है, जहां मां दुर्गा की कन्या स्वरूप की पूजा (Maa Durga is worshipped in Chanchalini Dham ) होती है और सिंदूर वर्जित है.

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मरकच्चो प्रखंड में बीहड़ जंगलों से घिरे इस चंचल पहाड़ पर मां दुर्गा विराजमान हैं, जहां 200 साल से ज्यादा समय से मां दुर्गा की पूजा हो रही है. श्रद्धालु मां दुर्गा को मां चंचालिनी के नाम से जानते हैं. जानकार बताते हैं कि लोग अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिए इस मंदिर के तलहटी में रात दिन आराधना करते हैं.

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400 फीट ऊंची चंचल पहाड़ का सफर सीढ़ियों से शुरू होती है और श्रद्धालु खड़ी चढ़ाई पर सीढ़ियों के सहारे चढ़ते हैं. इसके साथ ही तकरीबन 100 फिट की चढ़ाई रेंगते हुए पाइप के सहारे पूरा करते हैं. रुकते थकते बैठते श्रद्धालु 500 सीढ़ियां चढ़कर मां दुर्गा के इस स्थान तक पहुंचते हैं. रास्ते में मां दुर्गा की छोटी छोटी प्रतिमा स्थापित हैं. कष्टदायक सफर होने के बावजूद श्रद्धालु सच्ची श्रद्धा और भक्ति से चंचालिनी धाम पहुंचते हैं.

नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है. लेकिन इस चंचल पहाड़ी पर कुंवारी स्वरूप मौजूद है, यानि यहां मां दुर्गा के कन्या स्वरूप की पूजा होती है. मां दुर्गा के लिए श्रृंगार का सामान तो चढ़ता है. लेकिन उसमें सिंदूर वर्जित है. शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्रि के अलावे आम दिनों में भी यहां श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. आसपास के क्षेत्रों के अलावा दूरदराज से भी श्रद्धालु आते हैं और मां दुर्गा के दर्शन करते हैं. 400 फिट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर भगवान शिव भी विराजमान है. बताया जा रहा है कि 200 सालों से चंचाल धाम श्रद्धालुओं की श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बना हुआ है.

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