कोडरमा: सॉयल हेल्थ कार्ड योजना के आज पूरे हो गए हैं. इन 5 सालों में इस योजना के तहत कोडरमा जिले के 17 हजार से अधिक किसान लाभान्वित हो चुके हैं. सॉयल हेल्थ कार्ड योजना के जरिए न सिर्फ 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की परिकल्पना तैयार की जा रही है, बल्कि किसानों को तकनीकी रूप से भी सक्षम बनाने का प्रयास जारी है.
एक ही प्रकार के खाद और बीज का इस्तेमाल करते-करते उपजाऊ भूमि की भी उर्वरा शक्ति धीरे-धीरे कम होते जा रही है. मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी की जानकारी और कम लागत में बेहतर उत्पादन के लिए सॉयल हेल्थ कार्ड योजना की शुरुआत की गई. कोडरमा में इस योजना के तहत 17 हजार से ज्यादा किसान अब तक लाभान्वित हो चुके हैं.
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जिला कृषि पदाधिकारी सुरेश तिर्की की माने तो इस योजना से जुड़ कर बीमार हो चुके मिट्टी को ठीक किया जा सकता है, कोडरमा जिले में किसानों को इसका फायदा भी मिल रहा है.
किसानों को दी जा रही कई जानकारी
सॉयल हेल्थ कार्ड योजना की शुरुआत साल 2015 में की गई थी. जिसके बाद कोडरमा में सॉयल टेस्टिंग लैब स्थापित कर नियमित तरीके से मिट्टी के नमूनों की जांच की जा रही है. जांच के बाद किसानों को मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व की कमी और उपलब्धता से जुड़ी जानकारी भी रिपोर्ट कार्ड के जरिए दी जा रही है. इसी के आधार पर किसानों को फसलों की बुआई से लेकर खाद के इस्तेमाल और पटवन की जानकारी मिल रही है, साथ ही 12 पैमाने पर मिट्टी की जांच की जा रही है.
2022 तक किसानों की आय होगी दोगुनी
इस योजना की शुरुआत होने से किसानों को दो तरफा लाभ हो रहा है. एक तरफ उर्वरा शक्ति खो चुकी उनकी जमीन को फिर से उपजाऊ बनाया जा रहा है, वहीं दूसरे तरफ कम लागत में बेहतर उत्पादन कैसे हो, इसे लेकर भी किसानों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाया जा रहा है. कृषि वैज्ञानिकों की माने तो मिट्टी की जांच करा कर कम लागत में किसान अच्छी पैदावार कर रहे हैं, 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की परिकल्पना भई तैयार हो रही है.
सॉयल हेल्थ कार्ड योजना के तहत कोडरमा जिले में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सभी 6 प्रखंडों में 6 गांव को मॉडल गांव के रूप में चिन्हित किया गया है, जहां इसे लेकर शत-प्रतिशत किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड दिया जा रहा है और इस योजना के फायदे को लेकर डेमोंसट्रेशन भी किया जा रहा है, ताकि सॉइल हेल्थ कार्ड योजना की हकीकत से किसानों को रूबरू कराया जा सके.