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इस रेलवे फाटक पर ट्रेन के ड्राइवर और गार्ड को बनना पड़ता है गेट मैन, यात्री स्टेशन के बजाए यहीं से सफर करना करते हैं पसंद

Railway gate without gateman in Koderma. कोडरमा में एक ऐसा रेलवे फाटक है, जहां कोई गेट मैन नहीं है. यहां ट्रेन के ड्राइवर और गार्ड को ही गेट मैन बनना पड़ता है. इसके कारण फाटक के पास दो बार ट्रेन को रोकना पड़ता है.

Railway gate without gateman in Koderma
Railway gate without gateman in Koderma

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 1, 2023, 10:17 AM IST

कोडरमा के रेलवे फाटक का हाल

कोडरमा:एक तरफ देश में बुलेट ट्रेन चलाने की जोरदार तैयारी की जा रही है और वंदे भारत के रूप में हाई स्पीड ट्रेन भी चलाई जा रही है, वहीं दूसरी तरफ हम आपको एक ऐसे रेलवे फाटक के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां न कोई गेट मैन है और न ही कोई सिग्नल. ट्रेन के ड्राइवर और गार्ड ही इस फाटक के लिए ट्रेन से उतरने के बाद गेट मैन की भूमिका निभाते हैं. यह रेलवे फाटक कोडरमा जिले में स्थित है.

दो बार रूकती है ट्रेन:बंगाईकला और मंझलीटांड़ के बीच कोडरमा-गिरिडीह रेलवे लाइन पर डोमचांच में यह रेलवे फाटक है. यहां ट्रेन का ड्राइवर ट्रेन को रोकता है और नीचे उतरकर रेलवे फाटक को बंद कर देता है, फिर जब ट्रेन फाटक पार कर जाती है तो ट्रेन को एक बार फिर रोक दिया जाता है, फिर ट्रेन के पिछले डिब्बे में मौजूद गार्ड नीचे उतरता है और फाटक का गेट खोलता है, जिसके बाद ट्रेन अपने गंतव्य की ओर बढ़ जाती है. ट्रेन के सुहाने सफर में ये नजारा आपको शायद ही कहीं देखने को मिले.

फाटक से गुजरती हैं कई ट्रेनें:इन दोनों रेलवे फाटकों के एक तरफ कोडरमा टाउन स्टेशन है और दूसरी तरफ महेशपुर स्टेशन है. बंगाईकला में यह रेलवे लाइन डोमचांच और बंगाईकला के रूट पर है, जबकि मंझलीटांड़ में यह रेलवे लाइन डोमचांच जयनगर रूट से होकर गुजरती है. फिलहाल कोडरमा-गिरिडीह रेल मार्ग पर प्रतिदिन तीन जोड़ी ट्रेनों का परिचालन होता है. जिसमें रांची न्यू गिरिडीह इंटरसिटी एक्सप्रेस के अलावा महेशमुंडा पैसेंजर ट्रेन और मधुपुर पैसेंजर ट्रेन शामिल हैं.

तीनों ट्रेनों के परिचालन के दौरान मंझलीटांड़ और बंगाईकला में रेलवे फाटक के आगमन और प्रस्थान के समय बंद करने और खोलने में यही प्रक्रिया अपनाई जाती है, जबकि दोनों रेलवे फाटक की दूरी महज आधा किलोमीटर है. ऐसे में रेलवे फाटक को बंद करने और खोलने के लिए इस लाइन से गुजरने वाली ट्रेन को चार बार रोका जाता है और प्रत्येक प्रक्रिया में लगभग 4 से 5 मिनट का समय लगता है.

स्टेशन के बजाय लोग यहीं होते हैं ट्रेन में सवार:इन दोनों इलाकों में रहने वाले लोग ट्रेन से यात्रा करने के लिए महेशपुर स्टेशन जाने के बजाय रेलवे फाटक से ही ट्रेन में चढ़ते और उतरते हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस रेलवे फाटक से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर महेशपुर स्टेशन है, जहां जाने में काफी परेशानी होती है और इस रूट से गुजरने वाली तीनों ट्रेनें फाटक के आगे और पीछे दो-दो बार रुकती हैं, ऐसे में लोग अपनी सुविधा के अनुसार यहीं से ट्रेन में सवार हो जाते हैं.

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