कोडरमा: जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों का पोषाहार कभी भी बंद हो सकता है. कोडरमा प्रखंड में लंबे समय से सीडीपीओ के नहीं रहने के कारण बच्चों का पोषाहार उधार लेकर चलाया जा रहा है. ऐसे में आंगनबाड़ी की सेविका और सहायिका को दुकानदारों ने उधार देने से मना कर दिया है.
नहीं मिल रही है पोषाहार की राशि
कोडरमा के 210 आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को मिलने वाला पोषाहार कभी भी बंद हो सकता है. मई महीनों से कोडरमा प्रखंड के सभी आंगनबाड़ी केंद्र बिना बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के ही संचालित हो रहे हैं. ऐसे में ना तो इन सेविका और सहायिकाओं को मानदेय मिल पा रहा है ना ही पोषाहार के लिए राशि. इस वजह से आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं के पास बच्चों के पोषाहार बंद करने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं बचा है.
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उधार लेकर चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र
कोडरमा प्रखंड में लंबे समय से बाल विकास परियोजना पदाधिकारी यानी सीडीपीओ नहीं है और जिन्हें भी कोडरमा प्रखंड के सीडीपीओ का प्रभार सौंपा गया है वह प्रभार लेने के बाद अक्सर गायब ही रहे हैं. सीडीपीओ की गैरमौजूदगी में आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन तो नियमित तौर से हो रहा है, लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को मिलने वाले पोषाहार उधार लेकर चलाया जा रहा है. लंबे समय से उधार लेकर चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों को अब दुकानदारों ने भी उधार अनाज देने से इंकार कर दिया है.
बच्चों को मिलने वाले पोषाहार पर नहीं पड़ेगा कोई असर
आंगनबाड़ी केंद्रों में उधार नहीं मिल रहे पोषाहार की जानकारी मिलने के बाद उपायुक्त रमेश घोलप ने अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं और उन्होंने कहा है कि किसी भी सूरत में आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को मिलने वाले पोषाहार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. भले ही उपायुक्त ने आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को मिलने वाले पोषाहार को बंद नहीं होने का दावा किया है, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि मई महीने से आंगनबाड़ी केंद्रों में उधार से चल रहे पोषाहार व्यवस्था ने सिस्टम की पोल खोल दी है.