कोडरमा:कोडरमा में हुए अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के नाम पर घोटाले में बड़ी कार्रवाई हुई है. इस छात्रवृत्ति घोटाले में कोडरमा कल्याण विभाग के कम्प्यूटर ऑपरेटर मोहम्मद हैदर और सेवानिवृत्त लिपिक मोहम्मद मोबिन की संलिप्ता की बात सामने आई थी. इस मामले में कोडरमा पुलिस ने अब इन दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. पुलिस पूरे मामले की तहकीकात में जुटी है.
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ऐसे आया मामला प्रकाश में:छात्रवृत्ति के नाम पर अनियमितता की शिकायत कोडरमा उपायुक्त से की गई थी. उसके बाद अपर समाहर्ता ने इस पूरे मामले की जांच की थी. जिसमें यह बात सामने आई थी कि फर्जी स्कूल और फर्जी छात्रों के नाम पर अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के लिए मिलने वाली डेढ़ करोड़ की राशि गबन की गई है. एक चाइल्ड प्रोग्रेसिव स्कूल पर 144 छात्रों के नाम पर तकरीबन 15 लाख रुपये के गबन का मामला दर्ज था. इस मामले में स्कूल प्रबंधन का कहना था कि जिन 144 बच्चों की सूची उन्हें सौंपी गई है, उनमें से एक भी बच्चा उनके स्कूल में नहीं पढ़ता है. प्रबंधन ने कहा कि उनके स्कूल के फर्जी स्टांप और हस्ताक्षर के इस्तेमाल की सूचना मिली थी. इसके बाद उन्होंने थाने में मामला दर्ज कराया था. साथ ही इसकी लिखित शिकायत भी अधिकारियों से की थी. उसके बाद ही मामला उपायुक्त तक पहुंचा था.
डेढ़ करोड़ की राशि का गबन:गौरतलब है किकोडरमा में कल्याण विभाग के कर्मियों ने मिलीभगत कर 1433 अल्पसंख्यक छात्रों के नाम पर तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपये की राशि गबन कर ली थी. हालांकि मामला प्रकाश में आने के बाद कल्याण पदाधिकारी ने विभाग के तीन कर्मी समेत 10 स्कूलों के खिलाफ थाने में प्राथमिकी की थी. कोडरमा जिले में तीन-तीन वित्तीय वर्ष में 10 स्कूलों में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के नाम पर दिए जाने वाली राशि का गबन किया गया था. इसमें स्कूलों की भूमिका भी संदिग्ध थी. साथ ही कल्याण विभाग के तीन कर्मियों की मिलीभगत भी सामने आई थी.
जिसके बाद कल्याण पदाधिकारी नीली सरोज कुजूर ने कोडरमा थाने में 10 स्कूल के प्राचार्य और विभाग के तीन कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी की थी. इस छात्रवृत्ति घोटाले में कोडरमा कल्याण विभाग के सेवानिवृत्त लिपिक मोहम्मद मोबिन, वर्तमान लिपिक प्रमोद कुमार मुंडा और कंप्यूटर ऑपरेटर मोहम्मद हैदर की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध मानी जा रही थी. कल्याण पदाधिकारी ने मामले में बताया था कि स्कूल से मिले कागजातों की जांच किए बिना ही उसे अपलोड कर दिया गया है. मामले में प्राथमिकी होने के बाद सेवानिवृत्त क्लर्क मोहम्मद मुबीन, लिपिक प्रमोद कुमार मुंडा कार्यालय नहीं आ रहे थे. वहीं कंप्यूटर ऑपरेटर मोहम्मद हैदर का कहना था कि इस मामले में विभाग के बाबू के द्वारा जो आदेश दिया जाता था, वे सिर्फ उसका पालन करते थे. स्कूल प्रबंधक का कहना था कि पूरे घोटाले में कल्याण विभाग के कर्मी जिम्मेदार है. कहा स्कूलों के नाम पर फर्जी छात्रों का नाम देकर राशि का गबन किया गया है.
ये छात्रवृत्ति की प्रकिया:दरअसल छात्रवृत्ति से पहले एक प्रक्रिया अपनाई जाती है. इसके लिए पहले स्कूलों की ओर से आवेदन दिया जाता है. उस पर स्वीकृति मिलने के बाद स्कूलों की तरफ से बच्चों की सूची विभाग को ऑनलाइन भेजी जाती है. जिसके बाद कल्याण विभाग तमाम कागजातों की जांच कर उन नामों की सूची को मुख्यालय भेजता है. मुख्यालय से ही राशि बच्चों के नाम पर ट्रांसफर की जाती है. जिन 1433 बच्चों की सूची कोडरमा कल्याण विभाग को मिली है, उनमें से एक भी बच्चे के खाते में पैसे ट्रांसफर नहीं हुए थे. जबकि इनमें से कई बच्चों के नाम और पते भी फर्जी पाए गए थे. ऐसे में प्राथमिकी होने के बाद कोडरमा पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है.