कोडरमा: आज हम आपको एक ऐसे रेलवे स्टेशन के बारे में बताएंगे जो बिहार झारखंड के अलग होने के बाद भी दोनों राज्यों की सीमाओं को आपस में जोड़े (Dilwa railway station connects to Bihar Jharkhand) रखा है. इस रेलवे स्टेशन का निर्माण ब्रिटिश काल में हुआ था और तब से लेकर आज तक इसमें ट्रेनों का परिचालन होता आ रहा है.
हावड़ा-दिल्ली मेन लाइन पर स्थित दिलवा रेलवे स्टेशन, इस स्टेशन से गुजरने वाली मेन लाइन झारखंड में है तो इसकी लूप लाइन बिहार राज्य में है. साल 2000 में बिहार से झारखंड अलग हो गया और दोनों राज्यों की सीमाएं निर्धारित की गयी. लेकिन कोडरमा का दिलवा रेलवे स्टेशन और इस स्टेशन के कर्मी आज भी दोनों राज्यों की सीमाओं को नहीं मानते हैं.
साल 1906 में ब्रिटिश काल में कोडरमा से गुजरने वाली हावड़ा दिल्ली मेल लाइन पर दिलवा स्टेशन का निर्माण किया गया था. उस समय ना तो बिहार था और ना ही झारखंड बना था, यह पूरा इलाका मगध के नाम से जाना जाता था. दिलवा स्टेशन से सटे एक टनल से होकर ट्रेन गुजरती है और जब यहां से गुजरने वाले रेलयात्री स्टेशन पर लगे बिहार और झारखंड का यह बोर्ड देखते हैं तो उन्हें कई मायने में यह पूरा इलाका ऐतिहासिक होने का प्रमाण मिलता है. स्टेशन पर बिहार-झारखंड की सीमा का बोर्ड ऐतिहासिक होने के साथ-साथ दिलवा रेलवे स्टेशन प्राकृतिक की हसीन वादियों में बसा है. बिहार झारखंड को जोड़े रखने वाले इस दिलवा स्टेशन पर घटना दुर्घटना के वक्त परेशानी भी होती है. आरपीएफ और जीआरपी के बीच दोनों राज्यों की सीमा से कई बार समस्याएं बढ़ जाती हैं. जिससे हमेशा दिक्कतें आती हैं.
दिलवा रेलवे स्टेशन- एक परिचयः दिलवा एक छोटा स्टेशन है, जहां पहुंचने के लिए पगडंडियों से होकर जाना पड़ता है. दिलवा रेलवे स्टेशन के एक छोर पर कोडरमा जिला के चंदवारा प्रखंड की पंचायत लगती है तो दूसरे छोर पर बिहार राज्य का रजौली अनुमंडल पड़ता है. दिलवा स्टेशन पर आसनसोल वाराणसी पैसेंजर और ईएमयू अप-डाउन ठहरती है, जबकि डाउन लाइन पर केवल इंटरसिटी रुकती है. इस स्टेशन से गुजरने वाले यात्री यहां का मनोरम दृश्य देखकर प्रसन्न हो जाते हैं.
दिल्ली-हावड़ा रूट पर दिलवा स्टेशन आते ही तीन सुरंग से गुजरता है. जिससे ट्रेन यात्रियों खासकर बच्चों के लिए यह सफर काफी सुहाना हो जाता है. जंगलों, पहाड़ों के बीच से जब ट्रेन गुजरती है तो इन मनोरम दृश्यों का आनंद लेने का कोई भी मौका यात्री नहीं छोड़ते और इसे अपने कैमरे में जरूर कैद करते हैं. ऐसे ही धनबाद से गया तक के सफर के दौरान पहली सुरंग दिलवा में ही मिलती है. यहां कुल 3 सुरंगें हैं, जिनकी शुरुआत दिलवा से होती है.
कोडरमा और धनबाद रेलमंडल का दिलवा रेलवे स्टेशन के इन प्राकृतिक नजारों के अलावा, दो राज्यों के बीच स्टेशन का बंटा होना खासा आकर्षण पैदा करता है. यह एक ऐतिहासिक क्षेत्र है, जहां बोर्ड लगाकर रेलवे ने झारखंड और बिहार की सीमा तय की है. साल 2000 में बिहार से झारखंड राज्य अलग हो गया था लेकिन बंटवारे के बाद भी दोनों राज्य के सीमावर्ती इलाके पर बने इस स्टेशन पर कोई अलगाव नहीं है बल्कि एक यहां पर एक आपसी साझेदारी नजर आती है.