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Rejuvenation of Anganwadi centers in Koderma: आंगनबाड़ी केंद्र निजी प्ले स्कूलों से बेहतर! खेल-खेल में शिक्षा पा रहे बच्चे - झारखंड न्यूज

कोडरमा के आंगनबाड़ी केंद्र निजी प्ले स्कूलों से बेहतर साबित हो रहे हैं. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि आंगनबाड़ी केंद्रों की आधारभूत संरचना बदल रही और यहां गुणवत्तापरक शिक्षा पर खास ध्यान दिया जा रहा है. आज बच्चे यहां खेल-खेल में अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रहे है. जिससे इन आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ने लगी है.

Koderma Anganwadi centres provided better than private play schools
कोडरमा के आंगनबाड़ी केंद्र निजी प्ले स्कूलों से बेहतर साबित हो रहे हैं

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Published : Feb 28, 2023, 7:52 AM IST

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कोडरमा: जिला में पोषाहार केंद्र के रूप में चिन्हित आंगनबाड़ी केंद्रों में व्यापक बदलाव हो रहा है. आधारभूत संरचनाओं में बदलाव के साथ साथ कोडरमा के आंगनबाड़ी केंद्र निजी प्ले स्कूलों को कड़ी टक्कर देते नजर आ रहें हैं.

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एक समय था जब आंगनबाड़ी केंद्रों को पोषाहार केंद्र के रूप में जाना जाता था. आमतौर पर आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चे आते थे और खाना खाकर वापस घर चले जाते थे. लेकिन कोडरमा में आंगनबाड़ी केंद्रों ने इस अवधारणा को पूरी तरह से बदल दिया है. अब इन केंद्रों का कायाकल्प हो रहा है, जो देखने में अब पहले से बेहतर और शिक्षा के साथ साथ सुविधा के मामले में निजी प्ले स्कूलों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं.

बच्चों की बढ़ती उपस्थितिः आंगनबाड़ी केंद्रों में बदलाव की बयार के बीच बच्चों की उपस्थिति भी यहां बढ़ने लगी है. किसी दिन हाथ जोड़कर वेलकम तो किसी दिन गले लगाकर आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों का स्वागत किया जाता है. इसके अलावा बच्चों के पढ़ने लिखने से लेकर मनोरंजन की तमाम सुविधाएं भी आंगनबाड़ी केंद्रों में बहाल की गई, जो किसी निजी प्ले स्कूल में होता है. इसके साथ ही हर दिन बच्चों को प्रार्थना और योग भी कराया जाता है. जिससे उनकी बौद्धिक, आध्यात्मिक और शरीर का समुचित विकास हो सके.

आंगनबाड़ी में बच्चों के मनोरंजन की व्यापक व्यवस्था

शिक्षा में गुणात्मक सुधारः आंगनबाड़ी केंद्रों की आधारभूत संरचना में बदलाव के साथ साथ शिक्षा में गुणात्मक सुधार भी हो रहा है. पढ़ाई यहां के बच्चों के लिए बोझ के समान नहीं बल्कि खेल खेल में वो यहां काफी कुछ सीख रहे हैं. यहां की विधा और शिक्षा पद्धति इन बच्चों के अभिभावकों को भी खूब भा रहा है. निजी प्ले स्कूल की जगह सरकारी आंगनबाड़ी केंद्रों में अपने बच्चों को भेजकर अभिभावक ही संतुष्ट नजर आ रहे हैं.

आंगनबाड़ी में योग करते बच्चे

कोडरमा डीसी आदित्य रंजन ने बताया कि समाज कल्याण विभाग और सेविका सहायिका की मेहनत के साथ साथ लगातार मॉनेटरिंग से आंगनबाड़ी केंद्रों में व्यापक बदलाव आया है. जहां कल तक बच्चे लंगर के रूप में आंगनबाड़ी केंद्र आते थे और खाना खाकर वापस घर लौट जाते थे. वहीं आज एक-एक आंगनबाड़ी केंद्रों में 40 से 50 बच्चे प्रतिदिन आते हैं और खेलकूद के साथ-साथ बुनियादी शिक्षा की हर बारीकियां सीखते हैं.

हाथ मिलाकर वेलकम करते बच्चे

बच्चों की सुविधाओं का ध्यानः इन आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के बैठने के लिए आकर्षक टेबल, कुर्सी, कमरे की दीवारों पर पढ़ाई लिखाई को लेकर तस्वीरें उकेरी गयी हैं. दीवारों पर चटक रंगों से बने फल, फूल और वन्य जीवों के चित्र बच्चों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित उनमें उत्सुकता जगाते हैं. इसके अलावा बच्चों के मनोरंजन के अन्य साधन में झूले उनको निजी प्ले स्कूल की फिलिंग देते हैं. आंगनबाड़ी का यह कायाकल्प निश्चित रूप से बुनियादी शिक्षा के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है.

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