कोडरमा: भगवान इंद्र की नाराजगी से इस बार कोडरमा में सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. जहां एक तरफ बिचड़े लगे खेतों में दरार पड़ चुकी है तो वहीं किसानों की मायूसी (Farmers disappointed due to lack of rain)बढ़ती जा रही है. परेशान और चिंतित किसान सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
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बारिश नहीं होने से जिला में महज 9% धान की रोपनी हुई है जबकि 91% खेत सूखे पड़े हैं और खेत बंजर दिखाई दे रहे हैं. इसके अलावा बारिश नहीं होने से जल संकट भी गहराने लगा है. ऐसे में कोडरमा को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग तेज हो गई है. जिला परिषद के अध्यक्ष रामधन यादव ने कहा कि कोडरमा में सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है और सिर्फ सरकार के द्वारा सुखाड़ घोषित करने की औपचारिकता बाकी है. उन्होंने कहा कि जिला परिषद की बैठक में वो सरकार से कोडरमा को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए पत्र (declare Koderma as drought prone area) लिखेंगे.
जून महीने में कोडरमा में जहां महज 50 फीसदी से भी कम बारिश (lack of rain in monsoon) हुई थी. वहीं जुलाई महीने में महज 15 फीसदी वर्षापात रिकॉर्ड की गई है. ऐसे में जिले की स्थिति गंभीर है और चिंताजनक बनी हुई है. इस बाबत जिला प्रशासन ने राज्य सरकार से स्थिति का आकलन कर रिपोर्ट भी साझा किया है. उपायुक्त आदित्य रंजन ने कहा कि राज्य सरकार के फसल राहत योजना से किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई हो सकेगी.
कमोबेश पूरे राज्य में इस साल बारिश की स्थिति अच्छी नहीं है, ऐसे में धान की खेती प्रभावित होने की संभावना प्रबल है. ऐसे में किसानों की मायूसी लाजमी है. कोडरमा के किसान इंद्र भगवान के साथ-साथ सरकार से मेहरबानी पर उम्मीदें लगाए बैठे हैं.