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कोडरमा को पूर्ण रूप से साक्षर बनाने की कवायद तेज, बुजुर्गों में भी दिखी नाम लिख पाने की ललक - ग्रामीण पाठशाला

कोडरमा को पूरी तरह से साक्षर बनाने की कवायद तेज हो गई है. केंद्र सरकार के फंक्शनल एंड न्यूमेरिक लिटरेसी कार्यक्रम के तहत लोगों को साक्षर बनाने की कोशिश हो रही है (Functional and Numeric Literacy program in Koderma). बुजुर्गों में भी सीखने की ललक दिख रही है, अव वे अंगूठा लगाने की जगह अपना नाम लिखना सीख गए हैं. अब तक 50 टोला साक्षर हो गए हैं, 26 जनवरी तक 200 टोला को साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा गया है.

Functional and Numeric Literacy program in Koderma
नाम लिखना सीखते बुजुर्ग

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Published : Jan 2, 2023, 3:44 PM IST

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कोडरमा: जिला के हर आयु वर्ग के लोगों को अक्षर ज्ञान के साथ नंबर ज्ञान की जानकारी हो इसके लिए तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे फंक्शनल एंड न्यूमेरिक लिटरेसी कार्यक्रम के तहत लोगों को साक्षर बनाया जा रहा है (Functional and Numeric Literacy program in Koderma). 26 जनवरी तक कोडरमा के 200 टोला को पूर्ण रूप से साक्षर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और इस दिशा में अब आठवीं से लेकर 12वीं तक के बच्चों की मदद ली जाएगी.



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साक्षरता अभियान का दिख रहा है असर:कोडरमा डीसी आदित्य रंजन ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत एक मॉडयूल बनाया गया है, जो आठवीं से 12वीं के बच्चों को उपलब्ध कराया जाएगा और उनके जरिए हर उम्र के लोगों को साक्षर बनाया जाएगा. जिला प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे साक्षरता अभियान का असर भी दिख रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में जो लोग अब तक सरकारी कागजातों के अलावे बैंक और पोस्ट ऑफिस में अंगूठा लगाकर अपना काम चलाते थे, वैसे लोग अब अपना नाम लिखना सीख गए हैं और अंगूठा के जगह अपना नाम लिखकर हस्ताक्षर कर रहे हैं.

पहले चरण में 50 टोला हुए साक्षर: साक्षरता अभियान को लेकर ग्रामीण पाठशाला भी चलाई जा रही है. पढ़ी-लिखी ग्रामीण महिला अब जिला प्रशासन के साक्षरता अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है. स्कूल से निकलने के बाद बच्चों को इस ग्रामीण पाठशाला में बुनियादी शिक्षा के गुर सिखाए जा रहे हैं और हर उम्र के लोगों को अक्षर ज्ञान के साथ-साथ नंबर ज्ञान की जानकारी दी जा रही. पहले चरण में कोडरमा के 50 टोला साक्षर हुए थे और अब 200 टोला को साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा गया है. खासकर इस अभियान से जुड़े बुजुर्गों में अपना नाम लिख पाने की ललक दिख रही है, जो इस अभियान की सफलता की एक बानगी है.

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