कोडरमा: झारखंड में फेमस डोमचांच की क्रेशर मंडी में इन दिनों वीरानी छा गई है. दरअसल, इको सेंसेटिव जोन के रूप में चिन्हित कोडरमा के डोमचांच की क्रेशर मंडी को उजाड़ा जा रहा है, जिसके कारण इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के समक्ष आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो गई है. यह कोडरमा के डोमचांच की वही क्रेशर मंडी है, जहां कल तक क्रेशर मशीनों के चलने के कारण आपस में बात करना तक मुनासिब नहीं हो पाता था लेकिन, आज यहां वीरानी छा गई है.
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डोमचांच प्रखंड के नीरू पहाड़ी के आसपास के इलाके को सरकार ने पहले ही इको सेंसेटिव जोन घोषित कर रखा था और उसी के तहत यहां लगे तकरीबन 60 से 65 क्रेशर यूनिट बंद हो चुके हैं. क्रेशर मंडी के उजड़ने से मालिक से लेकर यहां काम करने वाले मजदूरों की स्थिति खराब हो गई है और औने पौने दाम में कबाड़ी के भाव क्रेशर मशीन बेची जा रही है. जब यहां क्रेशर यूनिटों का संचालन हुआ करता था, तो हर क्रेशर यूनिट में 10 मजदूर मुंशी, मेठ और दर्जनों लोग एक यूनिट से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़े हुए थे. क्रेशर यूनिट के बंद होने से स्टोन की ढुलाई करने वाले ट्रक मालिकों की स्थिति भी खराब हो गई है और इस पूरे क्षेत्र में बेरोजगारी का आलम छा गया है.
कोडरमा जिला परिषद की प्रधान शालिनी गुप्ता ने सरकार और प्रशासन से लचीला रुख अख्तियार करने की मांग की है. वहीं, इस पूरे मामले पर उपायुक्त कोडरमा आदित्य रंजन (Koderma DC) का कहना है कि पहले से ही यह क्षेत्र इको सेंसेटिव जोन के रूप में घोषित है और पर्यावरण के साथ-साथ जंगली जानवरों की रक्षा करना भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि क्रेशर मालिक पर्यावरण का दोहन कर रहे थे. डोमचांच के इस क्रेशर मंडी के उजड़ने से इन क्रेशर यूनिट के आसपास लगे सैकड़ों होटल, दुकान और अन्य कारोबार पूरी तरह से प्रभावित हो गए हैं. इसके अलावा बेहतरीन और उच्च क्वालिटी के स्टोन चिप्स के लिए प्रसिद्ध डोमचांच के क्रेशर मंडी में ताला लग गया है, जिसके बाद लोगों की बेबसी और बेरोजगारी को उजागर हो रही है.