कोडरमा/सिमडेगा: सावन की अंतिम सोमवारी पर हर शिव भक्त बाबा भोले को प्रसन्न करना चाहता है. सुबह से ही शिवालयों में जलार्पण के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है. ऐसा ही नाजारा कोडरमा के झरनाकुंड में देखने को मिल रहा है. जहां से16 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर शिव भक्त 777 सीढ़ियां चढ़कर बाबा भोले का दर्शन करते हैं.
झरनाकुंड में दर्शन के लिए बिहार, झारखंड और बंगाल से हजारों की संख्या में शिव भक्त पूरी आस्था और भक्ति के साथ पहुंचते हैं. भक्त झरनाकुंड पहुंचकर जल लेते है और करीब 16 किलोमीटर पैदल चलकर कोडरमा के ध्वजाधारी धाम पहुंचते हैं. यहां पहुंचकर भक्त 777 सीढ़ियां चढ़ने के बाद बाबा भोले का जलाभिषेक करते हैं.
वहीं सिमडेगा में भी अंतिम सोमवारी को लेकर जिले के विभिन्न शिवालयों में सुबह से ही शिव भक्तों का तांता लगा है. लोग बोलबम का नारा लगाते हुए उत्साहित नजर आ रहे हैं. हजारों शिवभक्त शंख नदी से जल लेकर केलाघाघ पहुंच रहे हैं. हजारों की संख्या में कांवरिया शंख नदी से जल उठाकर सरना मंदिर पहुंच रहे हैं. बोलबम का जयघोष करते हुए कांवरिये सरना महादेव को जल चढ़ाते हैं. इस क्षेत्र में सरना मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र माना जाता है.
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इस कांवड़ पद यात्रा में राज्य की शिक्षा मंत्री नीरा यादव और सांसद अन्नपूर्णा देवी शामिल हुई और राज्य की सुख समृद्धि की कामना करते हुए लोगों के खुशहाली की दुआ की. मान्यता के अनुसार धजाधारी धाम में ब्रम्हा के पुत्र कदम ऋषि ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी. जिसके बाद भगवान शिव कदम ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर ध्वजा और त्रिशूल भेंट की थी और तब से धजाधारी धाम की महत्ता कायम है.