खूंटी: जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. शनिवार को सबसे पहले प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश ललित प्रकाश ने पुलिस पदाधिकारियों को कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं. जिसके बाद जिला जज प्रथम राजेश कुमार ने पुलिस पदाधिकारियों को प्रतिदिन कांडों के अनुसंधान और उद्भेदन में अलग-अलग तरह के मामलों में जरूरी सावधानियां और जरूरी बिंदुओं पर गहनता से पड़ताल करने की जानकारियां दीं.
यह भी बताया कि अनुसंधान के लिए 3-4 आवश्यक बिंदुओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि मामले के निष्पादन में पुलिस और न्यायालय को मशक्कत न करनी पड़े. कम समय में टू-द-प्वाइंट संबंधित मामले के अनुसंधान के विभिन्न पहलुओं पर पुलिस विभाग को कार्य करने की जरूरत है.
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न्यायाधीश ने यह भी कहा कि जब भी किसी मामले में नाबालिगों का बयान दर्ज करना हो तो ऐसे समय में नाबालिगों का बयान उनकी ही भाषा में दर्ज किया जाए ताकि नाबालिग के बयान की वास्तविकता और उसकी सत्यता में सामंजस्य बरकरार रहे. किसी के बयान को अपने शब्दों में या क्लिष्ट शब्दों का इस्तेमाल करते हुए दर्ज करना किसी भी केस या मामले को सुलझाने की बजाय उलझा सकता है. न्यायाधीश ने यह भी बताया कि आपराधिक मामलों, नक्सल-उग्रवादी मामलों, अफीम तस्करी, दुष्कर्म, लूट-डकैती, हत्या, जमीन जायदाद, डायन समेत अन्य आपराधिक मामलों के अनुसंधान में केस की प्रकृति के मुताबिक कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यानपूर्वक तथ्यात्मक सबूतों के जुटान पर कार्य करने की आवश्यकता है.
कानूनी पहलुओं की दी जानकारी
पुलिस पदधिकारियों को दो दिवसीय कार्यशाला में कई संवैधानिक कानूनी पहलुओं की भी जानकारी दी गई. खूंटी पुलिस पदाधिकारियों, थाना प्रभारियों और इंस्पेक्टरों को समय-समय पर केस फाइलों के निष्पादन के लिए भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं की भी जानकारियां दी जाती हैं. दो दिवसीय कार्यशाला में जिले के वरीय पुलिस पदाधिकारी, थाना प्रभारी, इंस्पेक्टर समेत अन्य महत्वपूर्ण पदों पर आसीन पुलिस अधिकारी शामिल थे.