खूंटी:तोरपा में पदस्थापित अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ओमप्रकाश तिवारी का चयन पुलिस वीरता पदक के लिए किया गया है. माओवादियों से लोहा लेने वाले ओमप्रकाश तिवारी को जल्द ही राष्ट्रपति के हाथों वीरता पदक से नवाजा जाएगा.
तोरपा एसडीपीओ ओमप्रकाश तिवारी के अदम्य साहस, वीरता और बेहतर क्षमता को देखते हुए जल्द ही राष्ट्रपति के हाथों वीरता अवार्ड से नवाजा जाएगा. ओमप्रकाश तिवारी ने माओवादियों से लातेहार के बीहड़ों में हुई मुठभेड़ के दौरान पुलिस टीम का नेतृत्व किया था. मुठभेड़ के दौरान एसडीपीओ ने घायल माओवादी की जान बचाने का प्रयास, उनकी अद्भुत निर्माण निर्णय क्षमता और टीम को अपनी रणनीति से बीहड़ जंगलों से सुरक्षित निकालने की क्षमता के कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें वीरता पुरस्कार के लिए चयनित किया है.
एसडीपीओ ने सुनाई मुठभेड़ की पूरी कहानी
पुरस्कार के लिए नाम चयनित होने के बाद एसडीपीओ ओमप्रकाश तिवारी ने मुठभेड़ घटना के संबंध में बताया कि 1 फरवरी 2018 को वे अपनी पूरी टीम के साथ अभियान पर निकले थे. लातेहार के महुआडाड़ में स्थित पंडरा गांव के घनघोर जंगल में अभियान के दौरान वे दो पहाड़ियों के बीच पंडरा नाला की पगडंडी में चल रहे थे. इतने में नदी की धारा के उस पार की पहाड़ी में कुछ हलचल दिखी, कोई कुछ समझ पाता कि दोनों ओर से फायरिंग शुरू हो गई. देर तक चली मुठभेड़ के दौरान उनकी टीम ने एक माओवादी को मार गिराया और उस माओवादी को 3 गोली लगी थी. जिसके बाद माओवादी अपने बाकी सदस्यों के साथ ही भाग निकले थे. मुठभेड़ के बाद सुरक्षित निकलना खतरे से खाली नहीं था.