खूंटी: डायन के नाम पर एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या के बाद जिला प्रशासन गंभीर दिखाई दे रहा है. खूंटी के सुदूरवर्ती इलाकों में डायन प्रथा की जड़ें इतनी गहरी हैं कि डायन के नाम पर गांव के गांव एकजुट होकर हत्या जैसी वारदात को अंजाम देने से भी नहीं हिचकते हैं. गांव में यदि कोई बीमारी से मर जाए, तो लोग आज भी अस्पताल पहुंचने से पहले ओझा गुनी या भगत की शरण में जाते हैं. ओझा या भगत के कहने पर परिजनों का अंधविश्वास और गहरा जाता है.
ओझा या भगत की ओर से अमुक किसी भी व्यक्ति को डायन करार देने के बाद उसकी हत्या की योजना बनाना खूंटी में कोई नई बात नहीं है. तमाम जागरूकता कार्यक्रम चलाने के बावजूद खूंटी के सुदूरवर्ती इलाकों में डायन के नाम पर हिंसक वारदातें होती रही हैं. बड़ी वारदातें थाना तक पहुंच जाए, तब जाकर पुलिस प्रशासन हरकत में आती है. लेकिन वैसी घटनाएं जो गांव में घटित होती हैं और वहीं निबटारा कर दिया जाता है.
जिले के उपायुक्त शशि रंजन भी मानते हैं कि डायन मामले के इर्द-गिर्द दो, तीन पहलू प्रमुखता से सामने आते हैं, जिसमें जमीन-विवाद भी एक कारण है. साथ ही अशिक्षित होने के कारण डायन मामलों में जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में हिंसक घटनाएं घटती हैं. एक प्रमुख पहलू है अंधविश्वास, अंधविश्वास की प्रथा अब भी गांवों में बनी हुई है. इसे जड़ से समाप्त करने की आवश्यकता है.