खूंटीः प्रकृति की गोद मे बसा खूंटी जिला में पर्यटन के क्षेत्र में जिला कभी विकसित नहीं हो पाया. इसके पीछे की वजह नक्सलियों का वर्चस्व, आपराधिक घटनाएं और दुर्गम क्षेत्र, इससे पर्यटकों में डर समाया रहता है. दशकों से नक्सलियों ने जिले की सुंदर वादियों के बीच अपना ठिकाना बनाए रखा, जिसके कारण पर्यटक कभी खूंटी की तरफ आ नहीं सके. अब समय के साथ जिले की तस्वीर बदली और पुलिस महकमे ने नक्सलियों को खदेड़ने में कामयाबी हासिल की और आज भयमुक्त वातावरण में पर्यटक खूंटी पहुंचने लगे हैं.
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खूंटी में पर्यटकों की बढ़ती भीड़ और माननीयों के यहां लगातार आने से जिले को एक नईपहचान मिली है. झारखंड पर्यटन विकास निगम लिमिटेड की पहल से क्षेत्र को नई पहचान देने की शुरुआत होने वाली है. खूंटी में पर्यटकों के लिए 10 करोड़ की लागत से 40 कमरे का होटल बनाया जाएगा, इतना ही नहीं 14 करोड़ की लागत से गेस्ट हाउस का भी निर्माण होगा. इसके लिए जमीन का भी चयन जिला प्रशासन की ओर से कर ली गयी है.
प्रकृति की गोद में बसे खूंटी को प्रकृति ने अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य से नवाजा है और खूंटी को नदी, पहाड़, झरना, वन की अनुपम सौगात दी है. यहां पंचघाघ, उलुंग, पेरवाघाघ, रीमिक्स फॉल, चंचलाघाघ, रानी फॉल जैसे कई पर्यटन स्थल हैं. इसके अलावा भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू डोम्बारीबुरू जैसे विश्वप्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल भी हैं. जहां साल में बड़ी संख्या में जिला के साथ साथ अन्य जिलों एवं राज्य के बाहर से आने वाले सैलानियों का तांता लगा रहता है. प्राकृतिक सुंदरता के कारण खूंटी जिला में पर्यटन के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं.
पर्यटन से स्थानीय लोगों को रोजगार भी प्राप्त होता है. अनेकों पर्यटन स्थल होने के बावजूद पर्यटन के क्षेत्र में जो सफलता मिलनी चाहिए थी, उतनी सफलता नही मिल रही. हालांकि जिला प्रशासन ने पर्यटन स्थलों के विकास पर अत्यधिक जोर दिया है. कई पर्यटन स्थलों में सुंदरीकरण कार्य एवं मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराया गया है, फिर भी टूरिज्म के क्षेत्र में जो गैप है उसे अभी तक नहीं भरा गया है.
जिला में टूरिस्ट स्पॉट की तो भरमार है पर पर्यटकों के ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण सैलानी इन स्थलों पर आते तो हैं लेकिन खूंटी में कुछ दिन रुक नहीं पाते. जिससे पर्यटन से होने वाली कमाई का लाभ जिला को नहीं मिल पाता. इस कमी को देखते हुए जिला प्रशासन ने पर्यटकों के ठहरने के लिए लगभग 10 करोड़ की लागत से 40 रूम एक होटल बनाने का प्रस्ताव झारखंड पर्यटन विकास निगम लिमिटेड को दिया है.
इसके लिये जिला प्रशासन ने खूंटी तमाड़ पथ पर पुराने बस स्टैंड की भूमि का चयन भी कर लिया है. भूमि चयन के साथ ही जेटीडीए भी डीपीआर बनाने के कार्य में जुट गया है. जल्द ही जिला में पर्यटकों के ठहरने के लिए बेहतरीन होटल भी उपलब्ध हो सकेगा जो जिला के विकास में मील का पत्थर साबित होगा.
खूंटी डीसी शशि रंजन ने बताया कि जिला में पर्यटकों के रुकने की व्यवस्था नहीं होने से पर्यटक खूंटी में स्टे नहीं कर पाते हैं. पर्यटक अगर खूंटी में दो चार दिन ठहरते तो पर्यटन से अच्छी खासी आमदनी होती. डीसी ने बताया कि होटल के लिए तमाड़ रोड स्थित पुराने बस पड़ाव की भूमि का चयन किया गया है. यह होटल पीपीपी मोड़ पर संचालित होगा एवं स्थानीय लोगों को रोजगार भी उपलब्ध हो सकेगा. इसके साथ ही होटल बनने से जहां पर्यटकों को सुविधा होगी वहीं जिलावासियों को शादी, पार्टी एवं अन्य समारोह के लिए एक बेहतर स्थल मिल पाएगा.
जिला के सभी पर्यटन स्थलों को टूरिस्ट सर्किट से जोड़ा जाना है. इसी कड़ी में खूंटी में 40 रूम का होटल का निर्माण होना है. डीसी शशि रंजन ने बताया कि इस वर्ष टूरिस्ट सीजन में पर्यटकों को कई प्रकार की सुविधाएं भी मिलेंगी. जिसमें होम स्टे की सुविधा भी शामिल है. उन्होंने बताया कि होम स्टे में पर्यटकों को सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी. उन्होंने बताया कि होम स्टे की सुविधा उलुंग जलप्रपात, पेरवाघाघ जलप्रपात एवं लतरातू जलाशय में उपलब्ध होगी. होम स्टे में ट्राइबल कल्चर, रूरल एक्टिविटी भी उपलब्ध होगा.
डीसी ने बताया की टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए पेरवाघाघ में लगभग 14 करोड़ की लागत से गेस्ट हाउस का निर्माण भी होगा. साथ ही आरईओ विभाग के द्वारा तपकरा से पेरवाघाघ एवं बिरदा से लतरातू तक सड़क मरम्मती कार्य भी कराया जाएगा. उल्लुंग जलप्रपात में भी गेस्ट हाउस बनेगा जिसके लिए भूमि चयन की प्रक्रिया की जा रही है.