खूंटी: भगवान बिरसा मुंडा की जयंती (Birsa Munda Birth Anniversary) पर 15 नवंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के गांव खूंटी के उलिहातू आएंगी (President Draupadi Murmu is coming Khunti). यहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगी और सभा को संबोधित भी करेंगी. इससे पहले झारखंड की राज्यपाल रहते हुए द्रौपदी मुर्मू एक बार उलिहातू आ चुकीं हैं.
खूंटी आने वाली पहली राष्ट्रपति:द्रौपदी मुर्मू खूंटी आनेवाली पहली राष्ट्रपति होंगी. 22 साल पहले 15 नवंबर को झारखंड राज्य का गठन हुआ था. केंद्र सरकार ने पिछले साल 15 नवंबर को आदिवासी दिवस रूप में मनाने की घोषणा भी की है और जनजातीय महोत्सव भी मना रही है. राष्ट्रपति के आगमन को लेकर प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी है. बिरसा ओड़ा में साफ सफाई से लेकर रंगरोगन का कार्य शुरू कर दिया गया है. बिरसा ओड़ा में खासकर उनके जनस्थली के प्रांगण में टाइल्स-मार्बल लगाए जा रहे हैं, दीवारों पर बिरसा के जीवनी लिखी जा रही है. बिरसा मुंडा के खपड़ैल घर को फॉलसिलिंग और आकर्षक लाइट से सजाया जा रहा है. मजदूर दिन रात मेहनत कर रहे है ताकि 15 नवंबर से पहले कार्य पूर्ण हो जाये. बिरसा मुंडा के वंशज खुद मजदूरों की तरह काम करते दिखे. बिरसा के प्रांगण में गंदगी को साफ करते हुए उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति का आना खूंटीवासियों के लिए सौभाग्य है और राष्ट्रपति के आने से यहां की तस्वीर जरूर बदलेगी.
बिरसा मुंडा की जयंती पर खूंटी आ रही हैं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, आगमन को लेकर तैयारियां शुरू - Khunti news
धरती आबा बिरसा मुंडा की जयंती राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू खूंटी आ रही हैं (President Draupadi Murmu is coming Khunti). राष्ट्रपति आगमन को लेकर बिरसा ओड़ा में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. बिरसा के वंशज को राष्ट्रपति से बड़ी उम्मीदे हैं. द्रौपदी मुर्मू खूंटी आनेवाली पहली राष्ट्रपति होंगी.
राष्ट्रपति से हैं बड़ी उम्मीदें:इधर, बिरसा मुंडा के गांव में राष्ट्रपति आगमन को लेकर गांव वाले खासा उत्साहित हैं. बिरसा मुंडा की जयंती के साथ साथ राष्ट्रपति स्वागत भी बड़े ही धूमधाम से की जाएगी. बिरसा के वंसज सुखराम मुंडा ने कहा कि इस गांव में पानी की समस्या का समाधान कभी नहीं हुआ. राज्य गठन के बाद सरकारे आईं और चली गईं. प्रधानमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री तक यहां पहुंच चुके हैं लेकिन, आश्वासन ही मिला. उलिहातू के विकास के नाम पर सिर्फ घोषणाएं हुई हैं लेकिन, यहां का शिक्षा स्तर में बदलाव नहीं हुआ, न ही पानी की समस्या का समाधान हो पाया. पानी की किल्लत के कारण उलिहातू के ग्रामीण खेती कार्यों से दूर होते जा रहे हैं. बरसात के दिनों में बड़ी मुश्किल से खेती कार्य होते हैं. यहां के लोग किसी तरह आठवीं तक पढ़ लेते हैं लेकिन, उनका पढ़ना किसी काम का नहीं रहता. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिलने के कारण उलिहातू के लोग आज भी बेरोजगार हैं. उन्होंने उम्मीद जताई है कि राष्ट्रपति के आने से यहां की दशा और दिशा जरूर बदलेगी.