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तिलमा में जमीन पर फिर नहीं बनी बात, एक हां के लिए ग्रामीणों की मनुहार - खूंटी में जमीन विवाद

तिलमा में जमीन पर प्रशासन और मुंडा आदिवासियों के बीच विवाद खत्म नहीं हो पा रहा है. शनिवार को तीन घंटे तक ग्रामीणों और प्रशासन के बीच बातचीत हुई, लेकिन ग्रामीण थाना भवन निर्माण के लिए जमीन देने के लिए तैयार नहीं हुए. अब प्रशासन ने फिर ग्रामीणों को बातचीत का न्योता दिया है.

तिलमा में जमीन पर फिर नहीं बात, एक हां के लिए ग्रामीणों की मनुहार
तिलमा में जमीन पर फिर नहीं बात, एक हां के लिए ग्रामीणों की मनुहार

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Published : Jun 27, 2021, 1:23 PM IST

Updated : Jun 27, 2021, 2:56 PM IST

खूंटी: तिलमा में जमीन पर स्थानीय ग्रामीणों और प्रशासन के बीच रस्साकशी जारी है. इससे अतिनक्सल प्रभावित मारंगहादा इलाका दो वर्षों से थाना भवन निर्माण को लेकर अक्सर जिले में सुर्खियों में रहता है. विवाद की वजह है थाने के लिए चिन्हित जमीन. थाना भवन के लिए पुलिस प्रशासन ने जिस जमीन को चिन्हित किया है, ग्रामीण उसे पूजा स्थल बताते हैं और प्रशासन को देने के लिए तैयार नहीं है. इसी पेच में थाना भवन का निर्माण कार्य फंसा है, और अस्थायी भवन से काम चलाया जा रहा है. जमीन को लेकर शनिवार को भी प्रशासन और ग्रामीणों के बीच बात हुई. लेकिन बात नहीं बनी, फिलहाल ग्रामीणों को मुख्यालय पर बातचीत के लिए बुलाया गया है.

तिलमा में जमीन पर फिर नहीं बात, एक हां के लिए ग्रामीणों की मनुहार

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ग्रामीण क्यों नहीं देना चाहते यह जमीन

दो वर्ष पूर्व पुलिस प्रशासन ने अस्थायी मारंगहादा बनाया. इसके बाद स्थायी थाने के लिए तिलमा में एक परती जमीन चिन्हित की गई और इस दो एकड़ भूमि को पुलिस प्रशासन ने घेर लिया है. इससे ग्रामीण इसके विरोध में उतर आए हैं. स्थानीय मुण्डा आदिवासियों का कहना है कि वे यहां पूजा पाठ करते हैं और यहीं पर बलि चढ़ाने की परंपरा निभाई जाती है. आदिवासी यहां इस परंपरा को कायम रखना चाहते हैं. आदिवासियों का कहना है कि पर्व त्योहार, खेती-बाड़ी और अन्य अवसरों पर उनके पहान यहां विशेष पूजा करते हैं. आदिवासियों का कहना है कि पौराणिक काल से यहां उनकी जनजातीय परंपरा का पूजा स्थल है. यहां थाना बनने से परंपरा टूट जाएगी और जनजातीय मुंडा समाज को अपने सिंगबोंगा के कोप का सामना करना पड़ेगा. इसलिए पूर्वजों की पूजा और बलि प्रथा में वे बाधा उत्पन्न नहीं होने देंगे.

मारंगहादा थाना तिलमा में क्यों? तीन घंटे चली वार्ता विफल

थाना भवन के लिए जमीन हासिल करने के लिए शनिवार को पुलिस, प्रशासन के अफसर तिलमा पहुंचे. जैसे ही जिला प्रशासन के अफसर तिलमा पहुंचे, यह जानकारी पूरे इलाके में फैल गई. स्थानीय ग्रामीण और सामाजिक नेता पहुंच गए, लेकिन थाना निर्माण के खिलाफ अड़े रहे. वे लोकसभा न राज्यसभा, सबसे बड़ी ग्राम सभा के तर्ज पर अपनी बात रखते रहे. ग्रामीणों का कहना था कि पूजा स्थल पर थाना भवन नहीं बनने देंगे. प्रशासन कोई दूसरी जगह बताए, हमलोग उसे देने को तैयार हैं. ग्रामीणों का यह भी कहना था कि मारंगहादा थाना मारंगहादा इलाके में ही बनवाया जाए. बीच सड़क पर दोनों पक्षों में तीन घंटे बातचीत चली, लेकिन दोनों पक्ष अपनी बात से टस से मस नहीं हुए. नतीजतन वार्ता विफल हो गई.

यही जमीन क्यों जरूरी, क्या है माफिया कनेक्शन

थाना भवन के निर्माण को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है. यह आक्रोश और गुस्सा शनिवार को वार्ता के दौरान बढ़ता दिखा. इससे प्रशासन सकते में है. पुलिस प्रशासन का कहना है कि इस क्षेत्र में अफीम माफिया का असर है. इस इलाके में बड़े पैमाने पर अफीम की अवैध खेती और अफीम का अवैध कारोबार किया जाता है. यहां थाना बनने से अफीम कारोबारियों का धंधा बंद होगा. अवैध कारोबार में कोई बाधा न आए, इसके लिए ग्रामीणों से विरोध करा रहे हैं. ग्रामीण माफिया के इशारे पर ही थाना भवन नहीं बनने देना चाहते. हालांकि कोई खुलकर कुछ कहने के लिए तैयार नहीं है. डीडीसी का कहना है कि थाना भवन निर्माण के विरोध के पीछे अफीम माफिया हो सकते है. इसकी जांच कराएंगे.

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पिछले दिनों ग्रामीणों ने दिया था अल्टीमेटम


मारंगहादा थाना के लिए तिलमा में चिन्हित जमीन से पुलिस की घेराबंदी हटवाने को लेकर गुरुवार को ग्रामीणों की ग्राम सभा का आयोजन किया गया था. इसके बाद ग्राम सभा ने प्रशासन को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था कि कंटीले तारों को हटा दें, लेकिन प्रशासन ने ग्रामीणों की बात नहीं सुनी.

तिलमा में जमीन पर फिर नहीं बात, एक हां के लिए ग्रामीणों की मनुहार

ग्रामीणों को फिर न्योता

भले ही प्रशासन और मुंडा आदिवासियों के बीच शनिवार को जमीन पर हुई वार्ता विफल हो गई है. पर प्रशासन ने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है. प्रशासन ने ग्रामीणों को जिला मुख्यालय बुलाया है और पूरे मामले को बातचीत से सुलझाने का भरोसा दिलाया है. अब देखना होगा कि जिला प्रशासन ग्रामीणों को समझाने में सफल होता है या फिर ग्रामीण अपनी बात मनवाने में सफल होते हैं.

Last Updated : Jun 27, 2021, 2:56 PM IST

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