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जिंदगी और मौत के बीच झूल रही आदिवासी दुष्कर्म पीड़िता, ट्यूब के सहारे भोजन करा बचाई जा रही जान - सदर अस्पताल खूंटी

दस वर्ष की रेप पीड़िता की न्याय की गुहार सरकारी आश्वासनों से टकराकर शून्य में खोती नजर आ रही है. मासूम को जघन्य घटना के बाद ऐसा सदमा लगा कि वह जिंदगी से नाता तोड़ने पर उतारू हो गई. खूंटी की दुष्कर्म पीड़ित बच्ची (Khunti rape victim girl) को किसी तरह ट्यूब के सहारे भोजन कराकर उसे जीवित रखने की कोशिश की जा रही है.

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Published : Sep 21, 2022, 9:58 PM IST

खूंटी:एक वर्ष पहले मिठाई खिलाने के बहाने बुलाकर नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म की घटना की रिपोर्ट लिख गई. लेकिन न्याय का इंतजार खत्म नहीं हो रहा है. इधर दुष्कर्म की घटना का बच्ची को ऐसा सदमा लगा कि अब वह (Khunti rape victim girl) ना घर के लोगों को पहचान पा रही है और ना ही आसपास के लोगों को पहचान पा रही है. वह ना किसी से बातचीत करती है और ना खाना खा सकती है. कोई भी काम भी वह नहीं कर सकती है.

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आदिवासी रेप पीड़िता की मां ने बताया कि दो अगस्त 2021 को बच्ची के पिता का निधन हो गया था. 18 दिन बाद 20 अगस्त को इस बच्ची से दुष्कर्म किया गया था. इसके बाद उसे इलाज के लिए रिम्स लाया गया, जहां कुछ दिनों तक इलाज के बाद घर भेज दिया गया. पीड़ित 10 वर्षीय बच्ची एक साल बाद भी बेड पर ही है. वह इतने सदमे में है कि उसे ट्यूब के माध्यम से भोजन दिया जाता है. उसकी तबीयत कैसी होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

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जैसे तैसे परवरिश कर रही पीड़िता की मां ने बताया कि बच्ची के यूरिन में समस्या होने से कैथेटर लगा हुआ है. पीड़िता की गरीब मां दूसरे के घरों में झाड़ू-पोंछा कर घर चलाती है, कभी रेजा का काम कर लेती है. लेकिन पैसे कम मिलने के कारण उन्हें भी काम छोड़ना पड़ा, अभी मुश्किल से घर चल पाता है. पैसे के अभाव में बेटी का सही से इलाज भी नहीं करा पा रही है.

डॉक्टर्स ने खड़े किए हाथःइससे पहले मामला दर्ज होने के बाद पुलिस प्रशासन की ओर से आर्थिक सहायता दिलाने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन गरीब नाबालिग बच्ची जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है. कुछ दिनों तक रिम्स में भी उसका इलाज हुआ लेकिन स्थिति नहीं सुधरी. अब सदर अस्पताल खूंटी उसको लाया गया है. लेकिन डॉक्टर हाथ खड़े कर रहे हैं. यहां के चिकित्सकों का कहना है कि यहां बच्ची का बेहतर इलाज संभव नहीं है, रिम्स या बडे़ अस्पताल में ही इलाज कराना होगा. लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है.

हेमंत तक नहीं पहुंच रही मां की आवाजः इधर, तिल तिल मर रही बच्ची की जिंदगी के लिए मां मदद की टकटकी लगाए हुए है, लेकिन अब तक आदिवासी सीएम हेमंत सोरेन तक मां की पीड़ा नहीं पहुंची है और ना ही हेमंत इस पीड़ित की हिम्मत बन पाए हैं. जबकि सीएम हेमंत सोरेन के समर्थक ये कहते नहीं थकते कि हेमंत है तो हिम्मत है. इससे पहले चतरा की एक एसिड अटैक पीड़िता को बीते दिन एयर एंबुलेंस से सरकार एम्स दिल्ली इलाज के लिए भेज चुकी है. रांची हिंसा में घायल के लिए भी राज्य सरकार एयर एंबुलेंस उड़ा चुकी है. सिंदरी बवाल में घायल ओपी प्रभारी पर सीएम हेमंत का करम हो चुका है. लेकिन दस साल की रेप पीड़िता को अभी भी हेमंत की रहमत का इंतजार है.

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