खूंटीः सुशासन के लिये खूंटी जिला के कुदलुम पंचायत का नॉमिनेशन किया गया है. कुदलुम पंचायत कर्रा प्रखंड के अंतर्गत आता है. कुदलुम पंचायत में पूर्व में बड़ी संख्या में रोजगार के लिए ग्रामीणों का पलायन होता रहा, बड़े शहरों की ओर रोजगार के लिए पलायन आम बात हो गयी थी. लेकिन केंद्र सरकार की मनरेगा योजना ने कुदलुम पंचायत के ग्रामीणों की दिशा और दशा दोनों बदल दी.
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कुदलुम पंचायत में 2400 मनरेगा के तहत जॉब कार्डधारी हैं, जिसमे से 2000 सक्रिय मनरेगा जॉबकार्ड धारी हैं. मनरेगा के तहत लगातार दो तीन वर्षों में आम बागवानी और टीसीबी का कार्य बेहतर तरीके से जरूर किया है लेकिन समय पर भुगतान नहीं मिलने के कारण अधिकतर ग्रामीण रांची जाकर रेजा कुली का काम करते हैं, गांव में नशा पान आम बात है. आदिवासी बहुल इस पंचायत के कुछ प्रतिशत लोगों के घरों में शराब बनती है और लोग उसका सेवन करते हैं.
मनरेगा के तहत कई किसानों और आम ग्रामीणों ने 100 दिन का रोजगर प्राप्त कर मजदूरी प्राप्त किया. साथ ही आम बागवानी के तहत आम्रपाली आम की बागवानी कर प्रति एकड़ एक लाख से ज्यादा की आर्थिक सहायता प्राप्त की है. जबकि कई किसानों ने अपनी भूमि पर टीसीबी बनाकर मनरेगा मजदूरी प्राप्त किया और अब खाली पड़े खेतों में साग सब्जी की खेती कर स्वरोजगार का सृजन किया. अब कृषि कार्यों से जुड़कर शहरों की ओर रोजगार के लिए होने वाला पलायन भी रुका है. पलायन के रुकने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था स्थानीय स्वरोजगार पर निर्भर होने लगा है, स्वरोजगार बढ़ने से पलायन पर थोड़ा बहुत अंकुश लगा है.
स्थानीय मुखिया के अनुसार कुदलुम पंचायत के अधिकांश गांवों में ग्रामसभा की बैठक ससमय होती है. ग्रामसभा के निर्णय से अब शराब पर पाबंदी लगाई जा रही है. राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही फूलो झानो आशीर्वाद योजना का लाभ भी धीरे धीरे हड़िया बेचने वाली महिलाओं को मिलने लगा है. इससे शराब पर पाबंदी लगाने में कामयाबी मिल रही है हालांकि पूर्ण रूप से शराबबंदी नही हो पाई है. लोग आज भी बाहरी जिलों में जाकर रेजा कुली का काम करते है. लेकिन उसे भी जागरूक करने की दिशा में पहल की जा रही है.