खूंटीः जिला में दहेज की खातिर एक विवाहिता को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया. ये घटना तोरपा थाना क्षेत्र के डोड़मा सिसई रोड पर फुलकु नदी का है. जहां दहेज नहीं देने को लेकर रेशमा खातून नामक 20 वर्षीय महिला की हत्या कर दी गई. हत्या के आरोप में पुलिस ने मृतका के पति लोहरदगा जिला के बारीडीह कुड़ू निवासी इमरान अंसारी को गिरफ्तार कर लिया है.
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खूंटी में हत्या को लेकर बताया जा रहा है कि इमरान अंसारी अपनी पत्नी को बारीडीह से लेकर बुधवार की रात मोटरसाइकिल से अपनी ससुराल तोरपा थाना के कुदरी गांव आ रहा था. इसी बीच किसी बात को लेकर रेशमा और इमरान के बीच विवाद हो गया था. जहां इमरान ने रेशमा को पीट-पीटकर मार डाला. जिसके बाद इमरान ने रेशमा के शव को बाइक में एक दुप्पटे से बांध कर ससुराल रात को लगभग 9 बजे ले आया.
इमरान ने ससुराल वालों को जानकारी दी कि रेशमा खातून की तबीयत काफी खराब है और वह बात करने ने काफी असमर्थ है. लेकिन जब रेशमा के घरवालों ने उसके शरीर को देखा तो उस पर चोट के निशान और हाथ पैर ठंडे पड़े हुए थे. जिसके बाद दामाद इमरान को घर में ही बंधक बनाकर रातभर घर में ही रखा. गुरुवार सुबह तोरपा पुलिस को घटना की जानकरी दी गयी.
सूचना मिलते ही सीओ सच्चिदानंद वर्मा, इंस्पेक्टर दिग्विजय सिंह, थाना प्रभारी मनीष कुमार, एसआइ महती बोपाई व विश्वजीत ठाकुर कुदरी गांव पहुंचे और इमरान को हिरासत में ले लिया. साथ ही रेशमा के शव को पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया. रेशमा के पिता मुद्दीन अंसारी ने बताया कि दहेज के लिए इमरान ने उसकी बेटी की हत्या कर दी. मुद्दीन ने बताया कि इसी वर्ष 20 जनवरी को उन दोनों का निकाह हुआ था. इसके बाद से दामाद इमरान अंसारी हमेशा अपने ससुराल वालों से एक बाइक, पलंग सहित अन्य सामान की मांग कर रहा था. आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण उसके ससुर मुद्दीन बाइक नहीं दे सके और इमरान ने रेशमा को मार डाला. तोरपा डीएसपी ओपी तिवारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में मामला दहेज प्रताड़ना से जुड़ा पाया गया है.
दहेज के लिए पति-पत्नी में विवादः रेशमा खातून का इमरान अंसारी के साथ प्रेम विवाह हुआ था. शादी के बाद सब ही इमरान रेशमा और उसके परिवार वालों को दहेज के लिए प्रताड़ित कर रहा था. दहेज में सामान नहीं देने के कारण इमरान अक्सर रेशमा को मारता पीटता था. इतना ही नहीं कभी कभार रांची या कहीं अंजान जगह पर अपनी पत्नी को छोड़कर फरार हो जाता था. इसके बाद किसी तरह रेशमा अपने घरवालों से संपर्क कर मायका या ससुराल आती थी.